The secret of scams in the registry office is hidden officials are busy suppressing the investigation

रजिस्ट्री दफ्तर से बाहर निकलती पुलिस।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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आगरा में फर्जी बैनामों की जांच में जुटी एसआईटी रजिस्ट्री दफ्तर के रिकाॅर्ड रूम में नहीं घुस पाई है। वहां में घपलों की पोटली है। चार केस दर्ज होने के बाद भी यह पोटली नहीं खुली। एसआईटी की जांच सिर्फ 11 शिकायतों के इर्दगिर्द घूम रही है। इनमें आठ फर्जी बैनामा शामिल हैं, जिनके रिकार्ड रूम में रखीं जिल्द से अदला-बदली की गई। 

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रिकार्ड रूम में 100 साल पुराना तक रिकार्ड है। 50 साल पुराने बैनामे जिल्द में अंकित हैं। जिल्द बही से कितने पन्ने फटे। स्याहा व इंडैक्स और जिल्द में फटे पन्नों का ब्योरा एसआईटी नहीं जुटा सकी। निबंधन विभाग और प्रशासन के अधिकारी इनकी जांच को दबाने में लगे हुए हैं। 

यदि रिकार्ड रूम में एक-एक जिल्द को खंगाला जाए तो हजारों बैनामों में गड़बड़ियां मिल सकती हैं। पांच साल से लगातार शिकायत हो रही हैं। उन्हें भी प्रशासन से लेकर निबंधन अधिकारी तक दबाने में जुटे रहे हैं। इस खेल का मास्टरमाइंड रजिस्ट्री दफ्तर का एक लिपिक माना जा रहा है जो पूर्व में रिकार्ड रूम का प्रभारी था। 

उसके समय से जिल्द से मूल रिकार्ड नष्ट करने का कार्य शुरू हुआ। कई सब रजिस्ट्रार ने जिला निबंधक को जांच के लिए कहा। इसके अलावा 2021 में मौजा घटवासन की जांच में भी 15 से अधिक जिल्द से पन्ने फटे मिले थे। जो किसी गहरे षडयंत्र की तरफ इशारा कर रहे हैं।



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