संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Fri, 06 Sep 2024 06:51 AM IST

कासगंज। गंगा में फिर से उफान के हालात हैं। बैराजों से पानी छोड़ जाने के बाद गंगा की धारा में फिर उफान आ गया है। यह उफान पटियाली तहसील क्षेत्र के कटान प्रभावित इलाके में परेशानी बढ़ा रहा है। बढ़े हुए जलस्तर के बीच सिंचाई विभाग के लिए कटानरोधी कार्य को जारी रखना लगातार चुनौती बनता जा रहा है। विभाग ने बृहस्पतिवार को पूरे दिन कटानरोधी कार्य प्राथमिकता से किए गए। गंगा में बढ़ते पानी को लेकर किसान चिंतित हैं। उनके माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं। जिलाधिकारी मेधा रूपम ने कटानरोधी कार्यों में तेजी लाने के सिंचाई विभाग को निर्देश दिए हैं।बैराजों से पानी छोड़े जाने से गंगा का जलस्तर पुन: बढ़ गया है। इसका प्रभाव जिले में पहुंच चुका है। गंगा का जलस्तर फिर से 163.60 मीटर के निशान पर पहुंच गया है जो खतरे के निशान से करीब पौने दो मीटर नीचे है। बढ़े हुए जलस्तर से सदर तहसील क्षेत्र और सहावर तहसील क्षेत्र के गंगा किनारे के गांव के लोग भी चिंतित नजर आने लगे हैं। वहीं पटियाली में कटान प्रभावित नगला खंदारी, नेथरा व आसपास के गांव के ग्रामीण चिंतित हैं। क्योंकि गंगा का जलस्तर और अधिक बढ़ा तो इन गांव की आबादी का क्षेत्र भी प्रभावित हो सकता है। ऐसी स्थिति में ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ी हुई है। करीब 8-9 दिनों से नगला खंदारी व नेथरा के लोग कटान की आपदा से त्रस्त हैं। सिंचाई विभाग लगातार बांध की मरम्मत और बिना कटे बांध को सुरक्षित करने के प्रयास में जुटा है। कटे हुए बांध के दोनों सिरे सिंचाई विभाग के द्वारा सुरक्षित किए गए हैं। कटे हुए बांध के चारों ओर गैवियन क्रेट में रेत की बोरियां भरकर लगाई गई हैं। वहीं कटे हुए बांध के हिस्से से पानी लगातार खादर के खेतों में फैल रहा है। वहीं खादर के कई खेतों में पहले से कटान हो चुका है। लगातार बढ़ रहा जलस्तर कटानरोधी कार्य को प्रभावित कर रहा है। चूंकि कटानरोधी कार्य के ऊपर कई स्थानों पर गंगा का पानी दोनों ओर फैल गया है। इससे कटानरोधी कार्य में भी असुविधा हो रही है। अभी दो दिन और जलस्तर में वृद्धि होने के आसार हैं। क्योंकि लगातार पहाड़ों पर हो रही बारिश से यह स्थिति बनी हुई है। वहीं, गंगा में बढ़ते जलस्तर से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्हें डर सता रहा है कि यदि जलस्तर में हो रही वृद्धि नहीं रुकी तो इसका असर उनके खेतों पर भी पड़ेगा जहां फसल खराब होने की आशंका है।