The wife started a padyatra for her co-wife

परिवार के साथ पदयात्रा पर रेखा।
– फोटो : अमर उजाला

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मध्यप्रदेश के जिला नर्मदापुरम के पिपरिया के राजीव गांधी वार्ड की रहने वाली रेखा नंगे पैर जम्मू के कटरा में स्थित मां वैष्णों देवी की पदयात्रा कर रही है। उसके साथ में पति जगदीश, पुत्र गिरीश, पुत्री अंजली के अलावा ससुर मुन्नालाल और सास मुन्नीबाई भी पदयात्रा कर रही है। रविवार शाम चार बजे न्यू दक्षिणी बाईपास पर किरावली क्षेत्र के गांव महुअर पहुंचीं।

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शादी को हो गए 15 साल 

रेखा ने बताया कि 15 साल पहले उसकी शादी जगदीश से हुई थी। उसके दो बच्चे हैं, जिनमें 13 साल का गिरीश और 11 साल की अंजली है। जगदीश ठेकेदार है। वह घर बनाने का काम करता है। रेखा ने कहा उसका मायका ससुराल से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। कुछ साल पहले पति जगदीश को उसकी छोटी बहन रीना से मोहब्बत हो गई। रेखा के मुताबिक एक वर्ष पूर्व उसने अपनी इच्छा से पति जगदीश की दूसरी शादी बहन रीना से करा दी। इसके बाद सभी लोग खुशी—खुशी साथ रहने लगे। 

कई बार किया मनाने का प्रयास 

कुछ महीने पहले जगदीश ने किसी बात को लेकर अपनी दूसरी पत्नी रीना को पीट दिया। जिसके बाद वह नाराज होकर अपने मायके चली गई। रेखा और जगदीश ने रीना को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह वापस नहीं आई। रेखा ने मां वैष्णो देवी से मनोकामना मांगी है कि उसके पति की दूसरी पत्नी घर वापस आ जाए। वे पहले की तरह साथ रहने लगे। इस पर रेखा बीते नौ दिसंबर को अपने परिवार के साथ जम्मू के कटरा में स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर की पदयात्रा पर निकली है। रेखा ने कहा कि उसे वैष्णो माता पर पूरा भरोसा है। मैया उसकी मनोकामना जरूर पूरा करेगी।

घर से दो हजार किमी दूर मंदिर 

ससुर मुन्नालाल ने कहा कि वे माता रानी के भक्त हैं। उनके घर से मां वैष्णो देवी का मंदिर करीब 2000 किलोमीटर दूर है। उन्हें घर से निकले हुए 28 दिन हो गए हैं। करीब एक हजार किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। भवन तक पहुंचने में अभी एक महीने का समय और लगेगा। वे एक दिन में करीब 30 किलोमीटर पैदल चलते हैं। पुत्रवधू रेखा नंगे पैर पदयात्रा कर रही है।   

रात को यहां करते हैं विश्राम

ससुर मुन्नालाल ने कहा कि माता के भजनों को गाते हुए पदयात्रा कर रहे हैं। शाम पांच बजे से पदयात्रा बंद कर देते हैं। किसी ढाबे या अन्य स्थान पर रात्रि विश्राम करते हैं। सुबह सात बजे से यात्रा शुरू करते हैं। वे खाने—पीने का सामान साथ में लेकर आए हैं। रास्ते में कई राहगीर रुपए दे देते हैं। कुछ गांवों में लोग अपने घरों पर खाना खिलाते हैं।

 



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