उरई। समूह की महिलाओं ने गाय के गोबर से बनाए दीये और प्रतिमाओं सहित अन्य उत्पादों से 11 लाख का कारोबार किया है। हालांकि उनका कहना है कि कुछ तैयार माल उनका बच गया है जो अगले वर्ष काम आए। उन्हें खुशी है कि घर बैठे ही काम मिल गया और वह इसे करके आत्मनिर्भर बन रही हैं।
                गिरजा महिला बाल विकास सेवा संस्थान की समूह की करीब 150 महिलाओं ने करीब छह माह से गाय के गोबर से तैयार किए गए दीये और मूर्तियों को बाजार में उतारा तो उनको इसका अच्छा परिणाम मिला। समूह की संचालिका राधा पांडेय ने बताया कि गिरजा महिला बाल विकास सेवा संस्थान में करीब डेढ़ सौ महिलाएं काम करती हैं।  दीपावली को देखते हुए उन्होंने छह माह से गाय के गोबर से बने दीये और मूर्तियों को तैयार करना शुरू कर दिया था।  उन्होंने करीब पांच हजार किटों को तैयार किया था। जिन्हें बाजार में उतारा गया जहां उन्हें इसका अच्छा परिणाम मिला।
                                
                उन्होंने बताया कि करीब साढ़े चार हजार किटों को बाजार में दीपावली पर बेचा गया है। करीब 500 किटें बच भी गईं हैं। प्रतिमाओं और दीये से उनके समूह को करीब 11 लाख का कारोबार हुआ है। उन्होंने बताया कि इन दीये और प्रतिमाओं की मांग जिले के अलावा अन्य प्रदेशों में भी अच्छी खासी थी। कुछ जगह वह माल भेज पाईं और कुछ जगह नहीं भेज पाईं।
                                
                जिले के आसपास क्षेत्रों में इसका अच्छा परिणाम मिला। लोगों ने इसकी अलग से खरीदारी की है। अगले साल इससे दोगुना उत्पाद तैयार करने की योजना है। इससे महिलाएं जिले में ही रहकर आत्मनिर्भर बन सकें। समूह की संरक्षिका विनीता स्वदेशी पांडेय का कहना है कि उनका उद्देश्य है कि महिलाएं सरकार की मंशा के अनुरूप तरक्की करें और स्वयं आत्मनिर्भर बनें। (संवाद)
                                
                महिलाओं द्वारा यह बनाई गई थी किट
                                
समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की गई किट में गणेश-लक्ष्मी, स्वास्तिक, ऋद्धि-सिद्धि, चरण कमल, बंधन बार, हवन टिक्की, बिछावन, चुनरी सेट, दीये, धूप बत्ती, पूजन पोटली, हल्दी, सिंदूर, चंदन, अक्षत, लौंग, इलायची, सुपारी, कौड़ी, कमल गट्टा, हल्दी की गांठ धनिया, जनेऊ, कलावा, गंगाजल, इत्र।

फोटो – 23 समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की गई किट। संवाद

 
                    