There was a rift in the relations between Akhilesh and Manoj during the assembly elections, even then they wer

रायबरेली की जनसभा में अखिलेश यादव और मनोज पांडेय।
– फोटो : amar ujala

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राजनीतिक पकड़। समीकरण साधने में माहिर। मतदाताओं की नब्ज टटोलने में पारंगत। ऊंचाहार से विधायक डॉ. मनोज पांडेय राजनीतिक रूप से बेहद समृद्ध हैं, खासकर ब्राह्मण मतदाताओं में तो और। यही कारण है कि सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफे को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, लेकिन सही मायने में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में ही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और मनोज के रिश्तों में दरार पड़ गई थी।

स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होते ही ऊंचाहार विधानसभा सीट से टिकट को लेकर बड़ा घमासान हुआ था। टिकट कटता देख मनोज के भाजपा में शामिल होने की अटकलों से घबराकर सपा हाईकमान ने अंतिम समय में उनका टिकट फाइनल किया था। चर्चा तो यहां तक रही कि दिल्ली में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के भरोसे को तोड़ने के कारण ही भाजपा ने मनोज की ऊंचाहार में मजबूत घेराबंदी की। वोटरों में सीधी पकड़ के कारण मनोज अपनी सीट बचाने में सफल रहे।

वर्ष 2004 में मुलायम सरकार में राज्यमंत्री बनने के बाद विधायक डॉ. मनोज पांडेय ने 2007 में सपा के टिकट पर पहली बार सुल्तानपुर जिले की चांदा विधानसभा से चुनाव लड़ा। हालांकि वह बसपा के विनोद सिंह से हार गए थे। वर्ष 2012 में सपा के टिकट पर ही ऊंचाहार सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 2017 में भी पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य को चुनाव में करारी शिकस्त दी। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़ सपा में शामिल हुए और ऊंचाहार सीट से बेटे के टिकट को लेकर अड़ गए। मनोज ने भी सीट छोड़ने से इंकार कर दिया। टिकट को लेकर लंबा घमासान चला।

पहली बार भाजपा से बने थे नगर पालिका अध्यक्ष

भाई राकेश पांडेय की हत्या के बाद मनोज पांडेय राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए मैदान में उतरे। वर्ष 2000 में भाजपा के टिकट पर नगर पालिका रायबरेली के अध्यक्ष का चुनाव लड़े और जीते। हालांकि वर्ष 2004 में वे सपा में शामिल हो गए, उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया गया।

सपा के साथ कांग्रेस के लिए बड़ा झटका

राजनीतिक जानकारों के अनुसार मनोज पांडेय का मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देना सपा के लिए ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के लिए भी बड़ा झटका है। ऊंचाहार सीट पर दलित के अलावा सवर्ण वोटरों में मनोज की अच्छी पकड़ है। ऐसे में मनोज जिस दल से मैदान में उतरेंगे, वहां खासा प्रभाव छोड़ेंगे। कांंग्रेस के जानकारों के अनुसार यदि गांधी परिवार से कोई उम्मीदवार उतरता है तो मनोज पांडेय की कमी अखरेगी, क्योंकि गांधी परिवार के खिलाफ सपा प्रत्याशी नहीं उतारती थी।



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