
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
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प्रख्यात समाजवादी डॉ. राममनोहर लोहिया की जन्म स्थली पर लोकसभा के सामान्य चुनाव में पहली बार समाजवादी परचम लहरा उठा। इससे पहले लोकसभा उपचुनाव में यहां सपा प्रत्याशी शंखलाल मांझी की जीत हुई थी लेकिन लोकसभा के सामान्य चुनाव में तमाम कोशिशों के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही थी। अब सपा के हिस्से में दशकों से चला आ रहा सूखा दूर हुआ है।
समाजवाद के प्रणेता रहे डॉ. राममनोहर लोहिया का जन्म अकबरपुर में ही हुआ था। उनके नाम पर यहां बहुउद्देशीय लोहिया भवन की स्थापना के साथ ही दो अलग-अलग स्थानों पर आदमकद प्रतिमा की स्थापना भी कराई गई। जिले का नामकरण हालांकि बसपा सरकार ने बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर कर दिया, लेकिन बाद में सत्ता में आई सपा ने लोहिया के नाम पर कई काम कराए। इसके बाद भी यहां लोकसभा के सामान्य चुनाव में सपा को जीत नसीब नहीं हो पाई।
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लोकसभा उपचुनाव में एक बार सपा प्रत्याशी शंखलाल मांझी को जीत मिली, तब यह सीट अकबरपुर सुरक्षित के नाम थी। इस जीत से पहले या बाद के चुनाव में सपा जीत के लिए तरसती रही। वर्ष 2009 में जब परिसीमन के बाद अंबेडकरनगर सामान्य लोकसभा सीट का गठन हुआ तब हुए चुनाव में सपा प्रत्याशी बसपा के राकेश पांडेय से हार गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के राममूर्ति वर्मा तीसरे स्थान पर रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन के चलते सपा ने यहां बसपा प्रत्याशी रितेश पांडेय का साथ दिया।
अब मौजूदा चुनाव में सपा से उतरे लालजी वर्मा ने शुरू से ही अत्यंत प्रभावी अंदाज में चुनाव अभियान की कमान स्वयं संभाली। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव व महासचिव शिवपाल यादव के दौरे के अलावा उन्होंने अन्य ताम झाम पर जोर नहीं दिया। वे सिर्फ मतदाताओं व कार्यकर्ताओं को सहेजने में जुटे रहे। बसपा में रहने के दौरान संगठन का काम करने की क्षमता यहां उनके लिए मजबूती का आधार बनी। सपा में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे लालजी वर्मा ने आम लोगों से अंतिम चुनाव लड़ने की बात कहकर भावनात्मक अपील भी की थी। इन सबका असर यह हुआ कि सत्तारूढ़ दल की तमाम ताकत के बीच भी लालजी वर्मा जिले में पहली बार लोकसभा चुनाव में सपा का परचम लहराने में कामयाब रहे। इस जीत के साथ ही दशकों से लोहिया की धरती पर चला आ रहा संसदीय चुनाव का सूखा भी दूर हो गया।
