लखनऊ। नगर निगम में दस साल बाद संपत्ति नामांतरण का शुल्क कम होगा। बीते माह कार्यकारिणी की बैठक में पास हुए इस प्रस्ताव की कार्यवाही इस महीने जारी हो जाएगी।
नगर निगम में गृहकर का नामांतरण कराने के लिए भवनस्वामी को अभी संपत्ति की कीमत का एक प्रतिशत शुल्क देना पड़ता है। 2014 से पहले नगर निगम स्लैब के आधार पर यह शुल्क लेता था। इसमें पांच लाख तक की कीमत के मकान का दो हजार और 10 लाख रुपये तक के मकान पर चार हजार रुपये शुल्क लगता था। इस तरह प्रति पांच लाख रुपये पर दो हजार शुल्क बढ़ जाता था।
विरासत के आधार पर नामांतरण में महज एक हजार रुपये ही शुल्क लिया जाता था। वर्ष 2014 के बाद से संपत्ति की कीमत पर एक प्रतिशत नामांतरण शुल्क लिया जाता है। इससे ज्यादातर भवनस्वामियों को 10 हजार से अधिक फीस जमा करनी पड़ रही है। इसे कम करने की मांग उठ रही थी। विरासत की संपत्ति में फिक्स पांच हजार रुपये शुल्क लिया जाता है।
मुख्यमंत्री ने करीब एक साल पहले नामांतरण शुल्क कम करने का आदेश दिया था। इसमें अधिकतम शुल्क 10 हजार रुपये तय किया गया था। इसके बाद एलडीए और आवास विकास ने शुल्क कम कर दिया। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने शुल्क कम करने का प्रस्ताव बीते माह महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता वाली निगम कार्यकारिणी बैठक में रखा था, जो पास हो गया। अब दस हजार रुपये से अधिक नामांतरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसे लेकर उपविधि भी बनाई जाएगी, जिसमें 10 लाख से कम कीमत वाली संपत्तियों का न्यूनतम नामांतरण शुल्क भी तय होगा।