
राम गोपाल के साथ अखिलेश। फाइल फोटो।
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
सपा ने पहली सूची में कई ऐसे प्रत्याशियों को उतारा है, जो मूल रूप से समाजवादी नहीं हैं। वे बसपा, कांग्रेस या संघ की पृष्ठभूमि से हैं। इन आयातित प्रत्याशियों से पार्टी में अंदरखाने असंतोष है। ऐसे में भितरघात पर काबू पाने के लिए सपा को अभी से रणनीति बनाकर अमल करना होगा।
अंबेडकरनगर से बसपा काडर के नेता रहे लालजी वर्मा को टिकट दिया गया है। वह 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा में शामिल हुए और कटेहरी से विधायक बने। यहां से पुराने समाजवादी शंखलाल माझी और राममूर्ति वर्मा को टिकट न मिलने से उनके समर्थकों में नाराजगी बताई जा रही है। हालांकि, सपा नेताओं का तर्क है कि 2022 में अंबेडकरनगर की पांचों विधानसभा सीटें सपा के खाते में आई थीं, जिनमें से चार विधायक बसपा मूल के हैं। इसलिए पार्टी ने लालजी वर्मा पर दांव लगाना बेहतर समझा।
एटा से प्रत्याशी देवेश शाक्य 2012 का विधानसभा चुनाव बसपा से लड़े थे। वह जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव मात्र एक मत से हार गए थे। यहां से पिछला लोकसभा चुनाव सपा से लड़े देवेंद्र सिंह यादव फिर टिकट मांग रहे थे। एटा के एक समाजवादी नेता स्वीकार करते हैं कि टिकट कटने से देवेंद्र सिंह के समर्थकों में असंतोष है, पर मुस्लिम व यादव वोटों में शाक्य वोट प्लस होने की उम्मीद में देवेश को उतारा गया है।
बांदा-चित्रकूट संसदीय क्षेत्र से सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री शिव शंकर सिंह पटेल राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं। भाजपा से निष्कासित होने पर वह सपा में आए। बांदा की राजनीति के जानकार पत्रकार रशीद कहते हैं कि टिकट के जो दावेदारों में सबसे उपयुक्त चयन शिव शंकर सिंह पटेल का ही है। लेकिन, पुराने समाजवादियों में असंतोष को थामना होगा।
इसी तरह से बस्ती से प्रत्याशी बनाए गए रामप्रसाद चौधरी कई बार बसपा से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। 2019 में बसपा से निष्कासित होने पर सपा ज्वाॅइन की थी। उन्नाव से प्रत्याशी अनु टंडन पहली बार 2009 में कांग्रेस से लोकसभा पहुंची थीं। पिछला चुनाव सपा से लड़ीं, पर हार गई थीं। यहां से भी कई पुराने समाजवादी टिकट की लाइन में थे।
एक भी ब्राह्मण प्रत्याशी न होने पर उठे सवाल
16 की सूची में एक भी ब्राह्मण प्रत्याशी के न होने पर भी सवाल उठ रहे हैं। अयोध्या से पुराने समाजवादी अवधेश प्रसाद को टिकट दिया गया, लेकिन आनंद सेन के अलावा यहां से पूर्व मंत्री पवन पांडे भी दावेदार बताए जा रहे थे।
यादवों में सिर्फ परिवार के प्रत्याशियों की घोषणा
यादव समाज के तीनों उम्मीदवार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार से हैं। राजनीतिक रणनीतिकारों का कहना है कि जब बीजेपी ने एक मुख्यमंत्री यादव दे दिया है तो सपा को पहले यादव समाज के अन्य प्रत्याशियों की घोषणा करनी चाहिए थी। आजमगढ़ और कन्नौज सीट को लेकर चर्चा है कि आजमगढ़ से शिवपाल यादव या उनके बेटे आदित्य यादव और कन्नौज से स्वयं अखिलेश यादव चुनाव लड़ सकते हैं।