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संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। झांसी वन रेंज क्षेत्र में सालों से खैर की लकड़ी का काला कारोबार चल रहा था लेकिन वन विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। शिवपुरी (मध्य प्रदेश) वन विभाग की सूचना पर झांसी वन विभाग के अफसर हरकत में आए और गोपनीय टीम का गठन कर शनिवार को झांसी खजुराहो मार्ग स्थित शंकरगढ़ में बने गोदाम पर छापा मारकर तस्करी कर जमा की गई एक करोड़ की खैर की लकड़ी बरामद की। पूरे प्रकरण ने क्षेत्रीय वन कार्यालय को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

वन विभाग के अफसर वन कर्मियों की संलिप्तता की जांच करने में जुटे हुए हैं। वन क्षेत्र की निगरानी के लिए जिले में सात वन रेंज स्थापित हैं। इसमें क्षेत्रीय वन अधिकारी, उप क्षेत्रीय वन अधिकारी, वन दरोगा सहित वन रक्षक की तैनाती की गई है। रेंज में पौधरोपण, पेड़ों की सुरक्षा, वन क्षेत्र सुरक्षा, अवैध कटान, अवैध भंडारण, वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण रोकना, वन अपराधों की रोकथाम सहित अन्य अवैध कार्याें की निगरानी की जिम्मेदारी क्षेत्रीय वन कार्यालय के कंधों पर है लेकिन क्षेत्रीय वन कार्यालय के वन कर्मियों की नियमित निगरानी न होने के कारण तकरीबन तीन साल से शंकरगढ़ स्थित गोदाम से खैर की लकड़ी का कारोबार जारी था लेकिन क्षेत्रीय वन अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी।

शिवपुरी के वन अफसरों की सतर्कता के चलते झांसी में एक करोड़ कीमत की 400 क्विंटल खैर की लकड़ी पकड़ी गई। वन संरक्षक महावीर कौजालगी ने बताया कि पूरे प्रकरण की जांच के लिए प्रभागीय वन अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं। जांच में दोषी पाए जाने वाले वन कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

गोदाम किया सील, वन कर्मियों की तैनाती

झांसी। वन विभाग की टीम ने झांसी खजुराहो मार्ग स्थित शंकरगढ़ में बने गोदाम को सील कर दिया है। निगरानी के लिए मऊरानीपुर के क्षेत्रीय वन अधिकारी कृष्णकांत द्विवेदी के नेतृत्व में वन कर्मियों की तैनाती कर दी गई है। इस दौरान गोदाम पर आने वाले हर व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

चार माह बाद भी मुख्यालय नहीं भेजी रेंजर की चार्जशीट

झांसी। ग्राम सैंयर में वन विभाग की जमीन पर सड़क निर्माण कराए जाने का प्रकरण लखनऊ तक गूंजा था। जिस पर वन अधिकारियों ने वन दरोगा महेश और वन रक्षक मनीषा को चार्जशीट जारी करते हुए क्षेत्रीय वन अधिकारी राजनारायण को चार्जशीट की संस्तुति की थी लेकिन चार माह से अधिक समय बीतने के बाद भी चार्जशीट वन मुख्यालय नहीं भेजी गई है।



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