
विज्ञान प्रौद्योगिकियों से भी पहले है। वैदिक ग्रंथों से पहले वैदिक विज्ञान प्राप्त करने के स्रोत क्या थे? प्राचीन काल में लोग मौखिक रूप से अपने पूर्वजों या गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करते थे। सनातन धर्म ने मनुष्य के जन्म की व्याख्या आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से भी पहले की है। गरुड़ पुराण विष्णु पुराण, रामायण के साथ लिखित ग्रंथों में से एक है।
गरुड़ पुराण के पन्ने भ्रूण के भ्रूण में जैविक विकास की व्याख्या करते हैं।
गरुड़ पुराण में वर्णित विधि विस्तृत है। इसमें माँ के गर्भ में होने वाले प्रत्येक परिवर्तन का समावेश होता है। इससे स्पष्ट होता है कि पुराण की जड़ें आधुनिक विज्ञान से जुड़ी हुई हैं। गरुड़ पुराण के श्लोक के अनुसार भगवान विष्णु इसकी विधि बताते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार विष्णु जी पक्षीराज गरुड़ को मनुष्य की उत्पत्ति के बारे में बताते हैं मेरे द्वारा रची गई माया के कारण पुरुष और स्त्री के मिलन के कारण मनुष्य की उत्पत्ति होती है गर्भधान के 3 दिन के बाद पाप आत्माओं का शरीर बनना शुरू हो जाता है एक रात को बुलबुला, 5 रात में गोल, दसवें दिन वृक्ष के फल के जैसा,
1. महीने में सिर बनता है
2. महीने में हाथ और दूसरे हिस्से
3. महीने में बाल, नाखून,लिंग, हड्डी
4. महीने में तल पदार्थ
5. महीने में भूख प्यास
6. महीने में बच्चेदानी की बाई ओर चला जाता है
जिस्म के बाकी हिस्सों का बनना और माता के खानपान पर निर्भर रहना, अपनी पीठ और शरीर के बीच में सिर दबा होने के कारण हाथ पैर हिला नहीं सकता, इस समय अलौकिक शक्ति से पिछले जन्मों में किए गए कर्म याद आते हैं
7. महीने के आरंभ से उसे चेतना आनी शुरू हो जाती है वह गर्भ शाला में हिलना शुरू कर देता है और ईश्वर से विनती करता है यदि मुझे इस नरक से बाहर निकाल लो तो मैं सदा आपके चरणों में पड़ा रहूंगा लेकिन यदि मुझे मेरे पाप कर्मों से सदा दुख भोगने पड़ेंगे तो मैं बाहर नहीं आना चाहूंगा
8. महीने में भी परमात्मा से प्रार्थना करता रहता है ए करुणा सागर लक्ष्मीपति मुझे इस नरक से बाहर निकालो मैं सदा आपकी सेवा और आपका सिमरन करता रहूंगा
9. महीने में सिर की तरफ से बाहर निकलता है और अपने सभी पिछले जन्मों को भूल जाता है और नए वातावरण में आकर बच्चे के रूप में रोने लगता है.

प्रत्येक मनुष्य 6 बुनियादी परिवर्तनों में से गुजरता है जन्म, बढ़ोतरी, युवावस्था, प्रजनन,शरीर का पतन और मृत्यु, इस भौतिक संसार में आकर मनुष्य परमात्मा से किए गए अपने वादों को भूल जाता है क्योंकि भौतिक संसार के आकर्षण मनुष्य को अच्छे लगने लगते हैं और परमात्मा को भूल जाता है भौतिक चीजों का आकर्षण नरक का द्वार है जो मनुष्य को बार-बार जन्म और मृत्यु चक्कर में घूमाता रहता है इसलिए आध्यात्मिक जीवन अपना कर परमपिता परमात्मा के चरण कमलों से जुड़ा जा सकता है
परमात्मा के जनक कमरों का आश्रय मुक्ति का धाम है…भगवान श्री कृष्ण भगवत गीता में कहते हैं जो मनुष्य सभी भौतिक चीजों का आकर्षण छोड़कर मेरी शरण में आ जाता है ऐसा मनुष्य तुरंत आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाता है..