कभी ”बाबुओं का शहर” कहे जाने वाले लखनऊ ने अब नई पहचान गढ़ी है। अब यह शहर उद्यमिता के क्षेत्र में नए कीर्तिमान बना रहा है। जहां पहले शहर के लघु उद्योग बड़ी कंपनियों के सहारे चलते थे, वहीं अब अपने दम पर उत्पाद बनाकर बाजार में अपनी पहचान बना रहे हैं। 

चिकनकारी, प्लास्टिक यूनिट, यूटिलिटी प्रोडक्ट, बॉटल्ड वाटर, फैब्रिकेशन और इलेक्ट्रिकल सामान जैसे सेक्टरों में लखनऊ के लघु उद्योगों की सालाना ग्रोथ 20-25% की दर से हो रही है। सर्विस सेक्टर में टेलीकॉम, बैंकिंग, इंश्योरेंस व आईटी सेक्टर की कंपनियां भी तेजी से बढ़ी हैं। इनकी संख्या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के मुकाबले चार गुना तक ज्यादा है।

लखनऊ में खुद के सहारे उद्यम खड़ा करने की कूवत आई

उद्यमी बताते हैं कि पहले शहर में पुणे, आगरा, कानपुर और गोरखपुर की तरह सिर्फ टाटा मोटर्स व एचएएल जैसी बड़़ी कंपनियां होती थीं, जिनके सहारे यहां का स्थानीय लघु उद्यम सांस ले रहा था। छोटी कंपनियां इन्हीं बड़ी कंपनियों के लिए सहायक उत्पादों का निर्माण करती थीं और इन्हें ही बिक्री करती थीं। लेकिन, धीरे-धीरे चलन बदला और लखनऊ में खुद के सहारे उद्यम खड़ा करने की कूवत आई। 

आज स्थिति यह है कि प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से लखनऊ ने कानपुर को भी पीछे छोड़ा है। प्रति लाख आबादी में लखनऊ में 887 तो कानपुर में 805 लघु उद्यम स्थापित हैं। लखनऊ में एमएसएमई के तहत 2.10 लाख से ज्यादा कंपनियां पंजीकृत हैं। इसमें 95 फीसदी सूक्ष्म और लघु उद्योगों का हिस्सा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 40 हजार तो सर्विस सेक्टर में 1.73 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं। 

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस के 24 साल

फार्मा उद्यमी रितेश श्रीवास्तव बताते हैं कि आज से 25 साल पहले 2000 में सरकार ने लघु उद्योगों के लिए विशेष पैकेज दिया था। इसके बाद 2001 में कार्यक्रम हुआ, जिसके बाद से भारत में राष्ट्रीय लघु दिवस मनाया जा रहा है। हालांकि, छह वर्ष बाद 2007 में लघु उद्योगों को एमएसएमई में शामिल कर दिया गया।

सरकारी योजनाओं के सहारे बढ़ा उद्योग

लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष केशव प्रसाद माथुर बताते हैं कि सरकार ने श्रम कौशल को साधने के लिए विश्वकर्मा योजना समेत कई योजनाएं ल़ॉन्च की हैं, जिससे अब उद्योगों को स्किल्ड लेबर मिलने लगा है। पहले बड़ी कंपनियों के लिए काम करते थे। नौकरी की बढ़ती समस्या से भी लघु उद्यम के लिए युवा आकर्षित हो रहे हैं। हमारे साथ 1000 से ज्यादा लघु उद्योग जुड़े हुए हैं।

पांच महीने में 27,113 उद्योग पंजीकृत

उपायुक्त उद्योग मनोज चौरसिया ने बताया कि जिले में पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 196086 उद्यम पंजीकृत हुए थे। इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में एक अप्रैल से लेकर अब तक 27113 उद्योग पंजीकृत हुए हैं। एमएसएमई सेक्टर में सीएम युवा उद्यमी विकास अभियान जैसी योजनाएं काफी कारगर साबित हो रही हैं।



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