Truth about pathology lab

लैब प्रतीकात्मक चित्र
– फोटो : संवाद

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पैथोलॉजी लैब से जारी होने वाली रिपोर्ट पर हर कोई भरोसा करता है। चिकित्सक भी इसी रिपोर्ट के आधार पर इलाज शुरू करते हैं। लेकिन लैब से कई रिपोर्ट ऐसी जारी हो गईं जिसने लोगों को मानसिक पीड़ा दी। रिपोर्ट देखकर उनका पूरा परिवार तनाव में आ गया। घर में खाना तक नहीं बना। लेकिन जब कुछ चिकित्सकों के कहने पर दूसरी जगह जांच कराई तो पता चला कि उन्हें तो कोई बीमारी ही नहीं है। ऐसा किसी एक शख्स के साथ नहीं हुआ बल्कि अलीगढ़ में इस प्रकार कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं।

केस-1

सारसौल निवासी राहुल शर्मा ने बताया कि उन्हें कुछ कमजोरी सी महसूस हो रही थी। वह चिकित्सक के पास पहुंचे तो उन्होंने कुछ जांच कराने को कहा। शहर की एक पैथोलॉजी लैब में उन्होंने अपनी जांच कराई तो रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें हेपेटाइटिस बी था। फिर दूसरी लैब में जांच कराई तो सब कुछ सामान्य निकला। फिर तीसरी जगह कराई तो भी कुछ नहीं निकला। बाद में वह गाजियाबाद गए तब वहां जांच कराई। वहां हेपेटाइटिस आया। इस रिपोर्ट के आधार पर इलाज शुरू हुआ।

केस-2

ज्ञान सरोवर निवासी सौरभ सिक्ससंस ने बताया कि उन्हें कुछ परेशानी हो रही थी। इसलिए डॉक्टरों की सलाह पर किडनी की जांच शहर की तीन बड़े नामचीन पैथोलॉजी लैब में कराई, लेकिन तीनों की जांच रिपोर्ट अलग-अलग थी। पहली रिपोर्ट में उनकी किडनी सही बताई गई। दूसरी जगह कराने पर क्रिटनाइन बढ़ा हुआ आया। तीसरे रिपोर्ट में खतरनाक स्टेज बता दी। इस पर सब घबरा गए। बाद में दिल्ली के एक नामचीन हॉस्पिटल में जांच कराई, जहां रिपोर्ट एकदम सामान्य थी। इसकी शिकायत एसीएमओ से की है।

केस-3

मित्रनगर निवासी रामबाबू शर्मा को पिछले कई दिनों से कमजोरी महसूस हो रही थी। पैरों में भी दर्द रहता था। किसी ने बताया कि शुगर की जांच करा लीजिए। उन्होंने एक लैब पर सुबह सुबह जाकर सैंपल दिया। रिपोर्ट में उनकी शुगर 400 आई। वह घबरा गए। बाद में मेडिकल कालेज पहुंचे। वहां जांच कराई तो शुगर सामान्य थी। बाद में तीन महीने में शुगर का स्तर जांचने के लिए टेस्ट कराया तो वह भी ठीक था।

केस-4

इगसाल निवासी राकेश कुमार ने मेडिकल कालेज में जब परीक्षण कराया तो चिकित्सकों ने उन्हें टीबी की जांच के लिए लिखा। राकेश कुमार ने मेडिकल कालेज से बाहर शहर में एक लैब पर जांच करा ली। लैब से जो रिपोर्ट आई उसमें उन्हें टीवी का मरीज ठहरा दिया गया। वह रिपोर्ट लेकर मेडिकल में पहुंचे तो वहां चिकित्सकों को रिपोर्ट संदिग्ध लगी तो मेडिकल में ही जांच कराई। यहां उन्हें टीबी का मरीज नहीं पाया गया।



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