पेंटिंग और पुट्टी का काम करने वाले तुफैल की मां को उसके पिता ने तलाक दे दिया था। इस वजह से उसका ज्यादातर समय मां के साथ नवापुरा, हनुमान फाटक स्थित ननिहाल में ही गुजरा। कन्नौज और सरहिंद की यात्रा के बाद उसने व्हाट्स एप पर 19 ग्रुप बनाए।
इनमें जैतपुरा व आदमपुर थाना क्षेत्र के मुहल्लों के अलावा, लोहता, बजरडीहा, मदनपुरा, बेनिया, हड़हा जैसे इलाकों के साथ ही मऊ और आजमगढ़ के मुस्लिम युवाओं को धार्मिक आधार पर भावनात्मक तरीके से जोड़ रखा था। इनमें पढ़े-लिखे मुस्लिम युवा भी शामिल हैं। इन व्हाट्स ग्रुप्स में वह बाबरी विध्वंस की घटना को इस्लाम के लिए शर्मनाक बताते हुए मौलाना साद रिज़वी के भड़काऊ वीडियो शेयर करता था।
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यह भी मैसेज डालता रहता था कि शरिया को विधिक और राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से इस्लामी मौलिक विधि के रूप में पाकिस्तान के साथ ही हिंदुस्तान में भी स्थापित किया जाना चाहिए। यह भी कहता रहता था कि हिंदुस्तान में मौलाना साद रिजवी जैसे इस्लाम के जानकर मार्गदर्शकों की जरूरत है, जो मुस्लिम युवाओं को सही दिशा देकर उनका भविष्य संवार सकते हैं।