
ढाई रुपये का नोट जो 1911 से 1936 के बीच में चलता था।
लखनऊ। पहली बार में आप भी यह सुनकर चौंक जाएंगे कि क्या कभी अपने देश में ढाई रुपये का भी नोट चलन में था। लेकिन यह सच है कि अंग्रेजी शासन के दौरान यह चलन में था। वहीं अवध के नवाब गाजीउद्दीन हैदर के जमाने का सोने का सिक्का जो लगभग 200 साल पुराना है। इसकी कीमत सवा लाख रुपये है। ऐसी चौंकाने वाली मुद्राएं देखने को मिल रही हैं निराला नगर में लगे तीन दिवसीय अवध मुद्रा उत्सव में।
अवध मुद्रा परिषद की ओर से इस प्रदर्शनी का आयोजन निरालानगर के एक होटल में किया जा रहा है। प्रदर्शनी में शुक्रवार को सिक्कों और मुद्राओं के संग्रहकर्ताओं के अलावा देखने वालों की भी भीड़ उमड़ी। यहां करीब 400 संग्रहकर्ता शामिल हुए हैं। इस दौरान दिल्ली से आए गोगा जैन ने बताया कि उनके पास विजयनगर एम्पायर के सिक्के हैं। इसके अलावा ढाई रुपये का नोट भी है जो 1911 से 1936 के बीच चलन में था। इसकी आज की तारीख में कीमत करीब तीन लाख रुपये है।
गोमतीनगर निवासी सिक्कों के डीलर मो. सुल्तान ने बताया कि उनके पास अवध के नवाब गाजीउद्दीन हैदर के जमाने का सोने का सिक्का है जो लगभग 200 साल पुराना है। इसकी कीमत सवा लाख रुपये है। गुप्त काल व कुषाण काल के सिक्के हैं जिनको देखने के लिए लोगों का रुझान है।
अलेक्जेंडर का सिक्का 20 हजार रुपये का
नागपुर से आए पीयूष अग्रवाल ने बताया कि उनके पास अलेक्जेंडर का सिक्का है जो 20 हजार की कीमत का है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय बैंक के मुद्रा के नमूने हैं। छह नोट 15 हजार रुपये की कीमत के हैं। बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से पाकिस्तान के एक डीलर ने इन्हें हमें बेच दिया है।
सोने के 30 नोटों का बंडल
देहरादून से आए अनुज सक्सेना ने बताया कि वह करीब 20 साल से सिक्कों का संग्रह करते आ रहे हैं। दुनिया में जब पहली बार कलेक्टरों के लिए सोने के नोट बने थे तब के नोट मेरे पास हैं। 30 नोटों का बंडल एक लाख का है। 24 कैरेट की एक नोट है। यह दुर्लभ नोट है।
चार पीढि़यों से कर रहे सिक्कों का संग्रह
चौक के शशि कपूर ने बताया कि वह सिक्कों के पुराने संग्रहकर्ता हैं। यह उनकी चौथी पीढ़ी है जो संग्रहकर्ता के रूप में अब भी काम कर रही है। 15 हजार की जरी की चोली, नवाब के परिवार का पर्स और बेल्ट जिसकी कीमत 60 हजार रुपये है।