
– फोटो : Lucknow University वेबसाइट से
विस्तार
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्नातक छात्रा का रिजल्ट घोषित करने में लखनऊ विश्वविद्यालय की लापरवाही पर सख्त रुख दिखाया है। अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि दो माह में विश्वविद्यालय से रकम की वसूली कर छात्रा को बतौर मुआवजा अदा की जाएगी।
Trending Videos
न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने यह फैसला वर्ष 2009 में बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा रहीं प्रियंका दुबे की याचिका को मंजूर करके दिया। कुछ आरोपों को लेकर छात्रा का रिजल्ट रोक दिया गया। प्रियंका का कहना था कि उनके सफाई देने पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने काफी समय तक कोई आदेश पारित नहीं किया।
ये भी पढ़ें – साल दर साल यूपी में बढ़ रही तादाद…पांच साल पहले हुए सर्वे में मिले थे दस लाख बांग्लादेशी नागरिक
ये भी पढ़ें – फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामला: पूरे प्रदेश में जांच के आदेश, पीएफआई के सदस्यों की भूमिका को देखेगा एटीएस
बीएससी तृतीय वर्ष की परीक्षा रद्द कर उनको 2014-15 की परीक्षा में शामिल होने का 15 नवंबर 2014 को आदेश दिया। इसके पहले ऐसा ही आदेश वर्ष 2012 में विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिया था, लेकिन उनको जानकारी ही नहीं दी गई। क्षुब्ध होकर छात्रा ने 2015 में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट की शरण ली।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला साफ तौर पर बताता है कि विश्वविद्यालय ने छात्रा के प्रति अड़ियल और उपेक्षापूर्ण रुख दिखाया। बगैर किसी ठोस साक्ष्य के छात्रा के कॅरिअर को बर्बाद करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय जिम्मेदार है।