मुजफ्फरनगर के कस्बा बुढ़ाना में Ujjwal Rana suicide case एक बार फिर गर्मा गया है। डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र उज्जवल राणा, जिसने कॉलेज की कथित नीतियों और दबाव से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी, उसके परिजनों ने अब आंदोलन की राह पकड़ ली है।
उज्जवल के चाचा सचिन राणा ने छात्र नेताओं के साथ संयुक्त रूप से घोषणा की कि 8 दिसंबर को डीएवी पीजी कॉलेज बुढ़ाना के मुख्य द्वार पर विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा, जिसमें परिवार के अलावा क्षेत्र के किसान नेता, छात्र संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के लोग शामिल होंगे।
रूड़की रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उज्जवल राणा के परिजनों ने स्पष्ट कहा कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे और इस मामले को प्रदेश स्तर तक लेकर जाएंगे।
परिवार का आरोप—“7 आरोपी नामजद, 2 जेल में, लेकिन 5 अब तक फरार… पुलिस सिर्फ भरोसा दे रही है”
प्रेस वार्ता में उज्जवल के चाचा सचिन राणा और बहन सलोनी राणा बेहद आक्रोशित दिखाई दिए।
उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रकरण में कुल 7 आरोपी नामजद हैं।
परिवार का आरोप है कि पुलिस सिर्फ आश्वासन दे रही है, पर कार्रवाई निचले स्तर पर बेहद धीमी है।
सचिन राणा ने कहा—
“एक महीना होने को आया, लेकिन आज भी फ़रार आरोपियों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पुलिस सिर्फ ‘देख रहे हैं’, ‘जांच कर रहे हैं’ जैसी बातें कह रही है।”
उन्होंने साफ आरोप लगाया कि पुलिस का रवैया टालमटोल वाला है और कई बार शिकायत करने के बावजूद उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया।
राजनीतिक नेताओं पर भी तंज—‘पंचायत में सबने वादा किया, लेकिन अब सब गायब’
परिवार ने जिले के नेताओं पर भी तीखा निशाना साधा।
सचिन राणा ने कहा कि बुढ़ाना की पंचायत में सभी दलों के नेता पहुंचे थे, सबने एक सुर में कहा था—
“हम परिवार के साथ हैं, आपकी सभी 10 मांगों पर कार्रवाई कराएंगे।”
लेकिन एक माह बीतने के बाद—
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न कोई जनप्रतिनिधि मिला
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न किसी ने फॉलो-अप किया
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न ही मुआवजे या कॉलेज प्रबंधन पर कार्रवाई को लेकर कोई कदम उठाया गया
उन्होंने कहा—
“जब पंचायत में कैमरे थे तो सब बोल रहे थे, अब जब कार्रवाई की जरूरत है तो सब पल्ला झाड़ रहे हैं। मिलने जाओ तो कहते हैं ‘हम साथ हैं’, लेकिन असल में कोई भी आगे नहीं बढ़ रहा।”
उज्जवल राणा परिवार की 10 मुख्य मांगें—कॉलेज प्रबंधन और प्रशासन पर बड़ा सवाल
परिवार ने अपनी 10 मुख्य मांगों का विशेष उल्लेख किया, जिनमें प्रमुख हैं—
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डीएवी प्रबंधन समिति को तत्काल निरस्त किया जाए।
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कॉलेज प्राचार्य को निलंबित कर बर्खास्त किया जाए।
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उज्जवल राणा के परिवार को 15 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, ताकि आर्थिक स्थिति सुधर सके।
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छात्रों के मानसिक उत्पीड़न पर कड़े नियम बनें।
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कॉलेज प्रशासन के खिलाफ निष्पक्ष जांच हो।
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फरार आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो।
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कॉलेज में छात्र सुरक्षा समिति का गठन।
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पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।
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घटनाक्रम में भूमिका निभाने वालों की पहचान और कार्रवाई।
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उज्जवल राणा की याद में छात्र सहायता कोष का गठन।
परिवार का कहना है कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन चरणबद्ध रूप से जारी रहेगा।
पुलिस अधिकारियों से मुलाकात भी बेअसर—“कोई समाधान नहीं, निराशा ही मिली”
सचिन राणा ने बताया कि वे छात्र नेताओं के साथ कई बार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी मिले, लेकिन हर बार “जांच जारी है” जैसी बातें कहकर उन्हें लौटा दिया गया।
उन्होंने कहा—
“हम थानों में भी गए, सीओ से भी मिले, एसएसपी से भी बात की, लेकिन हर जगह सिर्फ फाइल घूमती रही। अब हमें राज्य और केंद्र स्तर पर आवाज उठानी पड़ेगी।”
उनका कहना है कि 8 दिसंबर के बड़े धरने के बाद वे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से भी संपर्क करेंगे और न्याय की मांग करेंगे।
धरना-प्रदर्शन की तैयारी—किसान संगठनों, छात्र यूनियनों और सामाजिक समूहों का समर्थन बढ़ा
8 दिसंबर को होने वाला यह धरना बड़ा रूप ले सकता है क्योंकि—
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कई क्षेत्रीय किसान संगठनों
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स्थानीय छात्र नेता
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सामाजिक कार्यकर्ता
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व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि
इसमें शामिल होने का आश्वासन दे चुके हैं।
परिवार का दावा है कि यह आंदोलन अब सिर्फ उज्जवल राणा का नहीं, बल्कि पूरे इलाके के छात्रों की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा मुद्दा बन गया है।
परिवार की पीड़ा—“हमने अपना बच्चा खो दिया… अब इंसाफ तक शांत नहीं बैठेंगे”
प्रेस वार्ता में उज्जवल की बहन सलोनी राणा भावनात्मक हुईं।
उन्होंने कहा—
“अगर कॉलेज ने समय रहते कार्रवाई की होती, यदि उत्पीड़न नहीं होता, तो आज हमारा भाई जिंदा होता। हम उसे वापस नहीं ला सकते, लेकिन उसके लिए न्याय जरूर लाएंगे।”
परिवार ने साफ कहा कि आगामी धरना उनका अंतिम विकल्प नहीं, बल्कि संघर्ष की शुरुआत है।
छात्र नेताओं की भूमिका—“यह सिर्फ एक केस नहीं, विद्यार्थियों के भविष्य का सवाल है”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद छात्र नेताओं ने कहा कि
उज्जवल की मौत ने पूरे क्षेत्र के छात्रों को झकझोर कर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि कॉलेजों में
जैसे मामलों पर अब आवाज उठाना ज़रूरी है।
धरना सिर्फ एक विरोध नहीं बल्कि एक जन-जागरूकता अभियान भी होगा।
Ujjwal Rana suicide case ने मुजफ्फरनगर और बुढ़ाना क्षेत्र में एक बड़ा सामाजिक और शैक्षणिक प्रश्न खड़ा कर दिया है। परिजनों का आक्रोश, छात्रों का समर्थन और प्रशासन की धीमी कार्रवाई इस मामले को और अधिक संवेदनशील बना रही है। 8 दिसंबर को होने वाला धरना न केवल न्याय की मांग का मंच होगा, बल्कि युवा छात्रों के भविष्य, सुरक्षा और अधिकारों की आवाज भी बनेगा।
