unemployed are becoming victims of fraud some are getting trapped in foreign countries

नौकरी
– फोटो : अमर उजाला

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काम के लिए भटक रहे बेरोजगारों को नौकरी के नाम धोखा मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्र व निम्न आय वर्ग के नाबालिग, किशोर व युवा रोजगार की आस में शिकार बन रहे हैं। खाना फ्री, रहने को कमरा, चलाने को बाइक और 20 हजार रुपये तनख्वाह का झांसेबाज रैकेट आगरा में भी सक्रिय है।

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 फतेहाबाद, बाह, शमसाबाद, कागारौल से लेकर ट्रांस यमुना और अन्य बस्तियों में रहने वाले बेरोजगार इनका शिकार हैं। जिन्हें अच्छी नौकरी और बड़े-बड़े सपने दिखाकर कमीशन एजेंट व रैकेट में शामिल लोग उत्तरखंड, दिल्ली, हरियाणा से लेकर बंगलूरू और दक्षिण अफ्रीका तक ले जा रहे हैं। जहां नौकरी के नाम धोखा मिलने पर उन्हें 4 से 6 महीने काम करने के बाद युवाओं को भागना पड़ रहा है। 

कुछ बंधक बन किस्मत को कोसते हैं। कुछ बेगारी करने को मजबूर हो जाते हैं। उत्तराखंड से भागकर आए किशोर ने बताया कि उसे वहां जाने के बाद एक फैक्टरी में 4 महीने तक रहना पड़ा। वहां से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। एक कमरे में आठ लोग सोते थे। सुबह शाम सिर्फ खाना मिलता था। तनख्वाह मांगने पर मालिक कहता था कि पैसे इकठ्ठे हो रहे हैं। जब जाओगे तब मिल जाएंगे।

 



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