
जयशंकर प्रसाद
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महाकवि जयशंकर प्रसाद के आंगन में पहली बार महाकाव्य कामायनी के सभी पात्र जीवंत होंगे। महाकवि की 135वीं जयंती पर काशीवासी इस अनूठे आयोजन के साक्षी बनेंगे। नागरी प्रचारिणी सभा के निर्देशन में रूपवाणी के कलाकार मनु, श्रद्धा, इड़ा और मानव के पात्रों को महाकवि के प्रसाद में जीवंत करेंगे।
कामायनी हिंदी के अप्रतिम कवि जयशंकर प्रसाद की क्लासिक काव्यकृति है। साहित्य-संसार में इस कृति को महाकाव्य सा स्नेह और सम्मान हासिल है। नागरी प्रचारिणी सभा ने नृत्यनाटिका के विन्यास में इसकी मंच-प्रस्तुति तैयार की है। 30 जनवरी को जयंती समारोह पर चेतगंज स्थित प्रसाद मंदिर में इसकी प्रस्तुति के माध्यम से कलाकार महाकवि को नमन करेंगे।
लोहटिया स्थित रूपवाणी के स्टूडियो में कलाकार इसकी प्रैक्टिस कर रहे हैं। मूल कविता-पंक्तियों के आधार पर नाटक का नाट्यालेख और पार्श्वसंगीत तैयार किया गया है। संगीत पूरी तरह बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत पर आधारित है। कामायनी की देहभाषा में तीन नृत्य रूपों छऊ, भरतनाट्यम और कथक के दर्शन होंगे। यह नृत्य नाटिका पारंपरिक शिल्प के माध्यम से एक आधुनिक वक्तव्य होगी। कविता पर आधारित रूपवाणी की यह प्रस्तुति 55 मिनट की होगी। इसमें 15 कलाकार अभिनय करेंगे।