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unnao road accident
– फोटो : amar ujala
सोमवार को बेटे की ससुराल उरई में साले की शादी थी। परिवार सहित वह (राघवेंद्र) शामिल होने गए थे। मंगलवार को छुट्टी न होने से देर रात बरात से घर लौटे थे। बहू ने जेवर व अन्य सामान घर में रखा। कुछ देर रुकने के बाद लखनऊ के लिए रवाना हो गए थे। पिता ने बताया कि बेटा साल 2014 में सिपाही के पद पर तैनाती हुई थी। दो महीने पहले ही हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोशन हुआ था, घर में खुशियां थीं, लेकिन यह नहीं पता था कि पल भर में सब उजड़ जाएगा।

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आसपास कोई सीसीटीवी नहीं लगा है
सीओ अरविंद कुमार चौरसिया ने बताया कि झपकी आने से कार अनियंत्रित हुई और रफ्तार तेज होने से वह डिवाइडर पार करते हुए दूसरी लेन में पहुंच गई। उन्होंने बताया कि आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। जांच में सड़क पर भी टायरों या किसी अन्य तरह के कोई निशान नजर नहीं आ रहे हैं, जिनसे किसी और वाहन की टक्कर लगने या किसी वाहन से बचने की कोशिश में हादसा होने का संभावना नजर आए।

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तीनों के शव देख बेसुध हुए वृद्ध माता-पिता, लोगों ने बंधाया ढांढस
बांगरमऊ। हादसे में इकलौते बेटे के साथ पौत्र, पौत्री की मौत और बहू की गंभीर हालत होने की खबर मिलते ही जलनिगम से सेवानिवृत्त वृद्ध पिता विश्वेश्वर दयाल और मां कांती अन्य परिजनों के साथ बांगरमऊ सीएचसी पहुंचीं। तीनों शव देख परिजन बेहाल हो गए। बेटे के साथ उसके दोनों बच्चों को देख वृद्ध पिता चीख पड़ा। बोला, छुट्टी पर घर कौन आएगा, रोजाना फोन पर तबीयत का हालचाल कौन पूछेगा, बाबा कहकर कौन बुलाएगा।

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भाई और भतीजों की मौत से पूरा परिवार बिखर गया
पिता ने बताया कि पौत्र साथ जाना नहीं चाहता था। वह बाबा-दादी के पास रुकने की जिद कर रहा था, लेकिन बेटे ने पढ़ाई की बात कहते हुए उसे अपने साथ ले जाने की बात कही थी। यह नहीं पता था ऐसी अनहोनी होगी और पूरा परिवार उजड़ जाएगा। राघवेंद्र की दो बहनों में चित्रा, सुचित्रा हैं, दोनों की शादी हो चुकी है। भाई और भतीजों की मौत से पूरा परिवार बिखर गया। गंभीर घायल नंदिनी अंतिम समय भी पति और बच्चों का चेहरा नहीं देख पाईं। लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा है, अन्य परिजन देखरेख के लिए साथ चले गए।

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ट्रैवलर में सोते आ रहे थे श्रद्धालु, अचानक बस पलटी, मची चीख-पुकार
बांगरमऊ सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर हुए ट्रैवलर सवार शांतीमोहन, उनकी पत्नी अर्चना और अनीता कुमार ने बताया कि हम सभी 21 फरवरी को महाकुंभ जाने के लिए निकले थे। 22 को महाकुंभ में स्नान करने के बाद 23 को बनारस काशी विश्वनाथ जी के दर्शन किए। 24 को अयोध्या दर्शन करने के बाद 25 की रात एक बजे घर के लिए निकले थे। चालक आराम से गाड़ी चला रहा था। भोर पहर आधी सवारियां सो रहीं थीं।