
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रदेश में जाटव और आदिवासी जातियों के बीच पैठ बढ़ाएगा। संघ ने दलित और पिछड़े वर्ग की उन सभी जातियों को संघ में प्रतिनिधित्व देने की योजना बनाई है, जो अभी तक संघ की मुख्य धारा से वंचित रही हैं। संघ के आगामी शताब्दी वर्ष और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे संघ का बड़ा कदम माना जा रहा है।
संघ बीते कुछ वर्षों से सर्वव्यापी और सर्वस्पशी अभियान को लेकर काम कर रहा है। संघ का मानना है कि संघ का कार्य सर्वव्यापी तो हो गया है। शाखा, मिलन, सामाजिक समरसता और वैचारिक संगठनों के जरिये संघ का काम प्रत्येक न्याय पंचायत तक पहुंच चुका है। संघ के स्वयंसेवक या वैचारिक संगठन के कार्यकर्ता हर जगह मौजूद हैं।
लेकिन, सर्वस्पर्शी पहल पर फोकस होना बाकी है। संघ ने अब सर्वस्पर्शी कार्यक्रम के तहत अनुसूचित जाति वर्ग में जाटव वर्ग में काम शुरू किया है। प्रदेश में जाटव समाज की आबादी 10 फीसदी से अधिक है। दलितों में जाटव समाज को संघ की शाखा या अन्य किसी कार्यक्रम के जरिये अधिक से अधिक संख्या में जोड़ने की योजना है।
जाटव समाज के अतिरिक्त भी दलितों की अन्य जातियों के बीच संघ विस्तार की तैयारी कर रहा है। वहीं आदिवासी जातियों में थारू, बुक्सा, कोल, भील जातियों के साथ वनटांगिया व मुसहर जातियों के लोगों को भी संघ से जोड़कर प्रतिनिधित्व देने की योजना है। इन जातियों से जुड़े इलाकों में संघ ने सेवा कार्य के साथ सामाजिक समरसता के कार्यक्रमों का आयोजन भी शुरू किया है।