ऐसे ही असहाय, पीड़ित और निराश बुजुर्ग माता-पिता के लिए कैलाश स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में पिछले 8 दिनों में आए दस नए बुजुर्गों को जीने का सम्मान मिला है। सर्दी में ठिठुरते यह बुजुर्ग अपनेपन की गर्माहट की तलाश में जब वृद्धाश्रम पहुंचे तो वहां अपनापन मिला, जो उन्हें अपने खून के रिश्तों में नहीं मिला। अलग-अलग शहरों से आश्रम में शरण लेने वाले इन दसों बुजुर्गों की कहानी दिल को झकझोर देती है।
भरतपुर राजस्थान की 55 वर्षीय नमन देवी, शिकोहाबाद के 71 वर्षीय किशोरीलाल कश्यप, गोंडा बस्ती के 55 वर्षीय सुरेश श्रीवास्तव हों या कन्नौज के कुलदीप पांडेय, बोदला निवासी दिनेश चंद्र शर्मा, करहल, मैनपुरी के प्रदीप कुमार, सादाबाद हाथरस की 81 वर्षीय प्रेमलता, खंदारी, के सुनील कुमार और खेरागढ़, आगरा के बदन गोस्वामी अपनी पत्नी भूरी देवी सबकी परेशानी अलग-अलग थी। लेकिन दर्द एक ही था। कि अपनों ने ठुकराया और गैरों ने अपनाया। सभी किसी न किसी रूप में उपेक्षा, प्रताड़ना और अकेलेपन के शिकार हुए।
आश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि आश्रम में 380 माता-पिता सम्मान के साथ अपना जीवन जी रहे। हमारी कोशिश रहती है कि उन्हें परिवार जैसा माहौल मिले। जिससे वो अपना जीवन शांति से बिता सकें।
