शहर विधायक आकाश सक्सेना की ओर से वर्ष 2019 में सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आजम के पुत्र मोह का जिक्र किया है। 415 पृष्ठ में दर्ज फैसले में गवाहों के बयानों से लेकर बचाव पक्ष के 18 गवाहों का जिक्र किया गया। यह भी बताया गया है कि किस तरह सपा नेता ने अपने बेटे को 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ाने के लिए दूसरा पैन कार्ड बनवाया।
कोर्ट ने कहा कि आजम खां प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उनका दायित्व था कि वह अपने बेटे का झूठा नामांकन न कराते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस परिस्थिति में यदि कोर्ट उनकी उम्र व अवस्था को देखते हुए कम सजा देती है तो यह न्याय की मंशा के विपरीत होगा। यदि उनकी सजा में नरमी बरती जाती है तो जनता के मन में यही ख्याल आएगा कि प्रभावशाली पदों पर बैठे लोगों के अंदर कानून या न्यायिक प्रक्रिया का कोई भय नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि न्याय का उद्देश्य जनता के समक्ष उदाहरण पेश करना है कि कोई भी व्यक्ति, संस्थान व संगठन आदि गलत कृत्य करने के बाद बच नहीं सकता।
सपा नेता को वृद्ध होने का नहीं मिला अधिकतम कारावास
सपा नेता आजम खां के अधिवक्ताओं की ओर से तर्क दिया गया था कि आजम खां वृद्ध हैं। कोर्ट ने भी इस बात को मानते हुए कहा कि इसलिए अधिकतम सजा दिए जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं है।




