लगातार तापमान में गिरावट आने से आलू और टमाटर की फसल में अगोती (अर्ली ब्लाइट) और झुलसा रोग (लेट ब्लाइट) का खतरा बढ़ गया है। कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी के उद्यान विशेषज्ञ अनुपम दुबे ने किसानों को फसलों पर नियमित निगरानी रखने की सलाह दी है।
अनुपम दुबे ने बताया कि मौसम में तेजी से आ रहे बदलाव के कारण रोगजनक फफूंद सक्रिय हो जाती है, अगेती झुलसा रोग आल्टनेरिय सोलेनाई नामक कवक से होता है। इस रोग के कारण आलू की फसल को अत्याधिक नुकसान होता है। इस रोग के लक्षण बुवाई के तीन से चार सप्ताह बाद दिखने लगते हैं। इससे पत्तियों पर भूरे-कालापन लिए धब्बे, सूखापन और अचानक मुरझाने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। प्रकाश संश्लेषण की दर कम होने से कंद का आकार भी छोटा रह जाता हैं। दुबे के अनुसार, ऐसे में देरी करना किसानों की उपज पर भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
लक्षण दिखते ही करें छिड़काव
उद्यान विशेषज्ञ अनुपम दुबे के मुताबिक, रोग के शुरुआती संकेत मिलते ही किसान डाइथेन एम-45 @2 ग्राम प्रति लीटर पानी, मेटालैक्सिल 8%+मेन्कोजेब 64% WP @3 ग्राम प्रति लीटर पानी तथा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP @2–3 ग्राम प्रति लीटर पानी निम्न दवाओं में से किसी एक का छिड़काव कर सकते हैं। समय पर उपचार करने से रोग के फैलाव को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। दवा का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें और फसल की पत्तियों के दोनों तरफ दवा अच्छी तरह लगाएं।
