हमीरपुर के शैलेंद्र देवपाल, चंदाैसी के पंकज कुमार, इटावा के सलीम खान, बांदा के देवराज सहित 14 लोग…। यह सभी वो नाम है, जो निकले तो जिंदगी के सफर पर थे मगर माैत ने अपने आगोश में ऐसा लिया कि उनकी पहचान भी नहीं हो पा रही है। अंतिम संस्कार के लिए उनके अपने भटक रहे हैं। पुलिस ने मृतकों की हड्डियां, नरमुंड आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे हैं मगर अब वैज्ञानिकों को भी चुनाैती का सामना करना पड़ रहा है। आग में जल चुकी हड्डियां हाथ में पकड़ते ही चूरा बन जा रही हैं। ऐसे में डीएनए न मिला तो मुश्किल खड़ी होगी। इसको देखते हुए आगरा के वैज्ञानिकों के साथ ही लखनऊ और गाजियाबाद के वैज्ञानिकों को भी जांच के लिए बुलाया गया है।
