देशभर में कोहरा और धुंध जानलेवा साबित हो रहे हैं। राजमार्ग से लेकर एक्सप्रेस वे पर लोगों की जान जा रही है। आंकड़ों की बात करें तो 4 साल में 1.24 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 54 हजार लोगों की जान चली गई। 1.09 लाख से अधिक लोग घायल हो गए। इन आंकड़ों से चिंता बढ़ गई है। इनको रोकने के लिए इंतजाम नाकाफी हैं। यही वजह है कि हादसे दर हादसे हो रहे हैं।

अधिवक्ता केसी जैन के मुताबिक, भारतीय मौसम विभाग की ओर से सड़कों के लिए कोई एडवांस फॉग वार्निंग सिस्टम लगाने की योजना नहीं है। यानी कोहरे से निपटने की जिम्मेदारी पूरी तरह सड़क प्राधिकरणों और राज्य सरकारों पर है। सरकार ने बताया है कि एनएचएआई ने 3 जनवरी 2024 को कोहरे में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए नीति सर्कुलर जारी किया है। इसमें वाहनों में फॉग लैंप, सही लाइटिंग, डिफ्रॉस्टिंग सिस्टम, सड़कों पर कैट्स-आई, रिफ्लेक्टिव मार्किंग, वीएमएस बोर्ड और आपात सेवाओं की तैनाती जैसे कदम सुझाए गए हैं। मगर, यह सब जमीन पर नहीं उतर सके हैं।

यह कदम उठाए जा सकते हैं

-। जब सामने 50–100 मीटर से ज़्यादा कुछ न दिखे तो गाड़ियों को आगे बढ़ने देना नहीं, बल्कि टोल प्लाज़ा और सुरक्षित जगहों पर रोकना चाहिए।

-। कोहरा शुरू होते ही स्पीड लिमिट घटाई जाए और भारी ट्रक व बसों का प्रवेश सीमित या अस्थायी रूप से बंद किया जाए।

-। इलेक्ट्रॉनिक बोर्डों पर बड़े अक्षरों में लिखा हो घना कोहरा – आगे न जाएं, यहां रुके, रास्ता अस्थायी रूप से बंद है आदि।

-। कैट्स-आई, सफेद लाइनें, रिफ्लेक्टिव बैरियर पूरी तरह चमकदार हों, ताकि ड्राइवर को रास्ता समझ आए।

-। पेट्रोलिंग, एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड पहले से तैनात रहें। टोल, रेडियो, सोशल मीडिया और मैसेज से बताया जाए कि यात्रा टालना बेहतर है।

 



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