चकबंदी के लिए नए सिरे से जमीनों के नक्शे तैयार होंगे। इसमें यह भी देखा जाएगा कि किसी व्यक्ति के नाम रिकॉर्ड में कितनी जमीन दर्ज है और मौके पर वह कितनी जमीन पर काबिज है। इसके लिए जीपीएस आधारित उच्च तकनीक का प्रयोग होगा। चकबंदी विभाग का दावा है कि नए नक्शे तैयार होने पर उसके पास इंच-इंच भूमि का हिसाब रहेगा।

चकबंदी होने में सबसे बड़ी दिक्कत सटीक नक्शों का न होना है। इतना नहीं दशकों पुराने जो नक्शे उपलब्ध हैं, वे अब काफी जीर्ण-शीर्ण स्थिति में भी आ चुके हैं। इसलिए चकबंदी विभाग ने नए सिरे से नक्शों को ऑनलाइन तैयार करने की योजना बनाई है।

ये भी पढ़ें – बकाया बिजली बिल जमा करने पर 25 प्रतिशत की छूट, सौ फीसदी माफ होगा ब्याज… एक दिसंबर से शुरू होगी योजना



ये भी पढ़ें – ‘चुनाव आयोग के हाथ खून से रंगे हैं’: अखिलेश यादव बोले- ऐसा बंगाल के लोग कह रहे, SIR के लिए जल्दी क्यों?

इस योजना के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पास रिकॉर्ड (गाटा संख्या) में दो एकड़ जमीन दर्ज है, लेकिन मौके पर वह ढाई एकड़ पर काबिज है, तो संबंधित लेखपाल नए नक्शे में इस स्थिति को स्पष्ट तौर पर दर्ज करेगा। जीपीएस रोवर के माध्यम से गाटा संख्या के अनुसार, रकबे का ऑनलाइन चिह्नांकन भी किया जाएगा।

चकबंदी विभाग का दावा है कि रोवर के जरिये किसी गाटा संख्या के रकबे में शुद्धता सेंटीमीटर तक के स्तर की होगी। यहां बता दें कि जीपीएस में रोवर एक उपकरण होता है, जो एक स्थिर जीपीएस रिसीवर (बेस या आधार) के सापेक्ष अपनी सटीक स्थिति का पता लगाने के लिए जीपीएस का उपयोग करता है। इसका उपयोग सर्वेक्षण, मानचित्रण और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सटीक डाटा इकट्ठा करने के लिए किया जाता है।

ग्राम समाज की जमीन का भी होगा चिह्नांकन

नए नक्शे में ग्राम समाज की जमीन का भी जीपीएस तकनीक से चिह्नांकन किया जाएगा। प्रयास रहेगा कि ग्राम समाज की जमीन के सभी गाटा संख्या एक ही स्थान पर चक के रूप में आ जाएं, ताकि उस जमीन का जनहित में समुचित उपयोग हो सके।

20 करोड़ रुपये से ज्यादा के खरीदे गए रोवर

उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, राजस्व परिषद ने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत के रोवर खरीद लिए हैं। पहले चरण में चकबंदी विभाग भी इन्हीं रोवर का इस्तेमाल करेगा। हालांकि, काम पूरा करने के लिए उससे इससे कहीं ज्यादा रोवर खरीदने होंगे।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *