कासगंज व अंबेडकरनगर जिला पंचायत में बड़ा खेल सामने आया है। ऑडिट में कासगंज में निर्माण कार्यों में 13.29 करोड़ का घोटाला पकड़ा गया है। वहीं, अंबेडकरनगर में बिना लाइसेंस के ईंट भट्ठे चलते रहे और उसके एवज में जिला पंचायत विभिन्न मदों में वसूली कर रकम पार करता रहा। दोनों मामलों में जिला पंचायतों के तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी दोषी पाए गए। पंचायती राज विभाग की वर्ष 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट में ये गड़बड़ियां सामने आई हैं।
दरअसल, जिला पंचायत में जो भी विकास कार्य पांच लाख रुपये से अधिक के होते हैं उनमें परिक्षेत्रीय अधिशासी अभियंता की निरीक्षण रिपोर्ट लगती है। लेकिन, कासगंज में नियम को दरकिनार कर विकास कार्य कराए गए। इसमें मरम्मत, इंटरलॉकिंग आदि लगवाने जैसे काम शामिल थे। ऑडिट में 13.29 करोड़ रुपये की अनियमितता पाई गई। इस मामले में कासगंज के तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी राजेंद्र प्रसाद सिंह व विजय शर्मा दोषी पाए गए हैं। इनसे रिकवरी की जाएगी।
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लाइसेंस जारी नहीं हुए… विभाग रकम वसूलता रहा अंबेडकरनगर के ग्रामीण क्षेत्र के ईंट-भट्ठों को वर्ष 2019-20 में एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया। पर, विभाग ने इनसे 45.85 लाख रुपये वसूले। इसमें लाइसेंस शुल्क, सीपी टैक्स व विलंब शुल्क शामिल हैं। ऑडिट से पकड़ में आया कि वसूली की रकम बंदरबांट की गई है। अगर लाइसेंस जारी होते तो ये रकम सरकार के खजाने में जाती। इस गड़बड़ी के लिए तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी अजय कुमार यादव व अमिता सिंह को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अंबेडकरनगर के 9 विकास खंडों के कुल 322 ईंट-भट्ठों से वसूली की गई। इसमें बसखारी के 25, जलालपुर के 51, भियांव के 19, अकबरपुर के 52, कटेहरी के 20, रामनगर के 28, जहांगीरगंज के 36, टांडा के 75 व भीटी के 16 भट्ठे शामिल हैं।
और भी अनियमितताएं : जिला पंचायत अंबेडकरनगर में और भी अनियमितता पाई गई है। इनमें करीब 1.28 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर हुई। इन मामलों में तत्कालीन अवर अभियंता राजेंद्र प्रसाद, ठेकेदार शकुंतला को दोषी पाया गया। 1.17 करोड़ के हेरफेर में तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी अजय कुमार यादव, अवर अभियंता जयराम सिंह दोषी पाए गए।
