सीएम योगी आदित्यनाथ ने फरवरी 2022 में लखनऊ में ग्लोबल इनवेस्टर समिट आयोजित की थी। समिटि में आगरा में 71,335 करोड़ रुपये के निवेश के लिए 335 एमओयू हुए थे। नवंबर 2025 तक 335 एमओयू में से 221 कागजों से बाहर नहीं आ सके। इससे 66,255 करोड़ रुपये का निवेश प्रभावित है।
उद्योग विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 71,335 करोड़ के निवेश से 75,348 लोगों को रोजगार मिलना था। वर्ष 2024 में 149 उद्यमियों ने 5,745 करोड़ रुपये निवेश किए, जिनसे 17,102 लोगों को रोजगार मिला। वर्ष 2025 के लिए दिसंबर-जनवरी में फिर समिट प्रस्तावित है। इसमें 665 करोड़ रुपये के 13 एमओयू को धरातल पर उतारने का प्रस्ताव है।
इस तरह 162 एमओयू से 18,138 करोड़ रुपये का निवेश आगरा में होने का दावा उद्योग विभाग ने किया है। वहीं, पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड में किसी तरह के उद्योग-धंधे की स्थापना और विस्तार पर रोक लगा रखी है। उद्योग और पर्यावरण हित में विजन डॉक्यूमेंट बना था, जिसे लेकर सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुनवाई के बाद ही निवेश प्रस्ताव और प्रोजेक्ट का भविष्य तय होगा।
नहीं मिल रही एनओसी और जमीन
संयुक्त आयुक्त उद्योग अनुज कुमार ने बताया कि निवेश को धरातल पर उतारने के लिए प्रोजेक्ट्स को प्रदूषण, विद्युत व अन्य विभागों से विभिन्न प्रकार के अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) चाहिए, जो सुप्रीम कोर्ट की रोक की वजह से नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा इंट्रीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (आईएमसी) और महुर स्थित लेदर पार्क दो लैंड बैंक हैं। दोनों लैंड बैंक का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में उद्योगों को जमीन भी नहीं मिल पा रही है।
