अमर उजाला ने मंगलवार को पुलिस के सत्यापन कार्य की पड़ताल की। इसमें सामने आया कि थाने में रजिस्टर तो बने हैं। मगर सत्यापन नाममात्र के लिए हो रहा है। ऐसे में सुरक्षा कैसे होगी, यह सवाल बना हुआ है। जिले की 100 से अधिक कॉलोनियों में हजारों लोग बाहर से आकर बसे हैं।
पर्यटन नगरी होने के कारण आगरा में हजारों की संख्या में विदेशी आकर होटलों में आकर ठहरते हैं। बड़े स्तर पर बाहरी छात्र-छात्राएं भी पढ़ाई करने के लिए आते हैं। वह छात्रावास के अलावा किराये के मकानों में रहकर पढ़ाई करते हैं। अधिकतर विद्यार्थी थाना न्यू आगरा, लोहामंडी, हरीपर्वत क्षेत्र, सदर, सिकंदरा, लोहामंडी, कोतवाली, छत्ता इलाके में रह रहे हैैं। सुरक्षा की दृष्टि से कॉलोनियों में किरायेदार के रूप में रहने वालों का सत्यापन जरूरी है। अमर उजाला ने मंगलवार को किरायेदारों के सत्यापन के बारे में थाना न्यू आगरा और हरीपर्वत से जानकारी मांगी। पुलिसकर्मियों में थाने में किरायेदार सत्यापन का रजिस्टर बना होने के बारे में बताया मगर वो कितने किरायेदारों का सत्यापन किया गया, यह नहीं बता सके।
दस दिनों में नहीं एक भी सत्यापन
थाना न्यू आगरा क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान हैं। साथ ही केंद्रीय हिंदी संस्थान और दयालबाग विश्वविद्यालय है। यहां पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्र किराये के मकान में रहते हैं। इसके साथ ही जमात के लिए आने वाले लोग रहते हैं। फिर भी पिछले दस दिनों में थाने में एक भी किरायेदार का सत्यापन नहीं आया। पुलिस ने भी सत्यापन न कराने वाले किसी मकान मालिक पर कार्रवाई नहीं की है। थाना हरीपर्वत और लोहामंडी में भी बड़ी संख्या में डॉ़ भीमराव आंबेकडर विवि, एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा कॉलेज, आरबीएस कॉलेज और सेंट जोंस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्रा छात्रावासों के अलावा किराये के मकानों में रहते है। इस थाने में भी कोई सत्यापन का कार्य नहीं किया गया है।
डाॅ़ परवेज के आगरा से जुड़े हैं तार
दिल्ली धमाके के बाद लखनऊ से गिरफ्तार डाॅ़ परवेज का आगरा कनेक्शन भी सामने आया है। उसने एसएन मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई और सेवाएं दी थी। इस दौरान उसके संपर्क में आगरा सहित अन्य शहरों के लोग रहे। इनके बारे में जानकारी जुटाने में जांच एजेंसियां लगी हुई हैं।
यूपी कॉप से डाउनलोड कर सकते हैं फाॅर्म
डीसीपी सिटी अली अब्बास ने बताया कि यूपी पुलिस के एप पर किरायेदार सत्यापन का फाॅर्म उपलब्ध है। इसे मकान मालिक को भरना है। वे फाॅर्म डाउनलोड करके भरने के बाद थाने पर दे सकते हैं। ऑनलाइन भी भरा जा सकता है। पुलिस घर-घर जाकर सत्यापन करती है। यह देखा जाता है कि कोई अपराधी तो छिपकर नहीं रह रहा है। मकान मालिकों को भी निर्देश हैं कि वो अगर किसी किरायेदार को रख रहे हैं तो इसकी जानकारी थाना पुलिस को दें। किरायेदार से आधार कार्ड, शपथपत्र आदि लिए जाएं।
ये है जरूरी
– मकान मालिकों को किरायेदार को मकान देने के पूर्व या एक माह के भीतर सत्यापन कराना होगा।
– अगर किरायेदार एक से अधिक हैं तो उनका सत्यापन तो बहुत जरूरी है।
– पंजीकरण के बाद संबंधित थाने की टीम भौतिक सत्यापन करेगी।
– किरायेदार से संबंधित दस्तावेज (जैसे- फोटो, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर व किरायेदार का मूल पता आदि) अपने पास संरक्षित रखने होंगे।
