प्रदेश की मीट कंपनियों में कश्मीरी मूल की निजी सिक्योरिटी एजेंसियों को सहारनपुर के देवबंद की एक संस्था के इशारे पर काम दिया गया था। इस संस्था को मीट कंपनियों द्वारा डाेनेशन के तौर पर करोड़ों रुपये भी दिए जाते रहे हैं। साथ ही कई अन्य कट्टरपंथी संस्थाओं को भी फंडिंग होने के सुराग मिले थे। जिसमें दिल्ली ब्लास्ट भी शामिल है। अब इस मामले की जांच एटीएस द्वारा शुरू करने पर यह संस्था भी जांच के दायरे में आ गई हैं। सूत्रों के मुताबिक इस संस्था का कश्मीर से कनेक्शन पहले भी कई बार सामने आ चुका है।
वहीं दूसरी ओर एटीएस इन सिक्योरिटी एजेंसियों के कर्मियों के रिकॉर्ड का जम्मू-कश्मीर पुलिस से सत्यापन कराने की तैयारी में है। इसका डाटा मीट कंपनियों से जुटाने के बाद उनके आपराधिक इतिहास का पता लगाया जाएगा। आयकर विभाग के खुलासे के बावजूद अभी तक यह पहल किसी भी एजेंसी द्वारा नहीं की गई थी। आयकर विभाग ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में आशंका जताई थी कि कश्मीरी मूल की एजेंसियों को मीट कंपनियों में ही काम मिलने के पीछे कोई सुनियोजित साजिश हो सकती है। वहीं दिल्ली बम धमाके की घटना के बाद अतिरिक्त सतर्कता बरत रही पुलिस यूपी आने वाले कश्मीरी मूल के नागरिकों से जुड़े हर पहलू की गहनता से जांच कर रही है।
