राजधानी लखनऊ में शुक्रवार की सुबह धुंध की मोटी चादर में लिपटी नजर आई। इस वजह से सुबह में दृश्यता 800 मीटर तक सिमट गई। वहीं, धुंध व कोहरे के कारण वाहनों की रफ्तार धीमी रही जबकि सुबह करीब साढ़ें नौ बजे धूप निकलना शुरू हुई तो धुंध और कोहरा छंट गया।

इसके एक दिन पहले, बृहस्पतिवार को भी दोपहर में मौसम साफ होने के बाद भी धूल के सूक्ष्म कणों की मोटी परत छाई रही। हवा में प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने के कारण बुजुर्गों और बच्चों का सांस लेना दूभर हो गया।

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आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है। इसके असर से अगले तीन-चार दिन तक न्यूनतम तापमान में तीन से चार डिग्री तक की बढ़त देखने को मिल सकती है। इस दौरान सुबह-शाम धुंध और कोहरा का असर भी बना रहेगा। दिन में धूप में तीखापन भी महसूस किया जा सकता है। विक्षोभ के समाप्त होने के बाद सर्द हवाओं से तापमान में तेजी से गिरावट आएगी।

किसी भी इलाके में राहत नहीं : उधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के हिसाब से बृहस्पतिवार को लखनऊ का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 249 यानी ऑरेंज जोन में रहा।

ज्यादा बाहर न रहें सांस के रोगी, बच्चे और बुजुर्ग

मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि हवा की धीमी गति, वातावरण में बढ़ी हुई नमी और जमीन से उड़े धूलकण मिलकर स्मॉग की स्थायी परत बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में अस्थमा रोगियों, हृदय और फेफड़ों की समस्याओं से जूझ रहे लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को सावधानी रखनी चाहिए। सुबह और शाम में घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।



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