
प्रतीकात्मक तस्वीर
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दवाओं की सरकारी खरीद में एमएसएमई सेक्टर से जुड़े दवा निर्माताओं को कोई राहत नहीं मिली। सरकारी दवा खरीद में केवल वही दवा निर्माता हिस्सा ले सकेंगे, जिनका सालाना टर्नओवर पांच करोड़ से बीस करोड़ रुपये होगा। वहीं खाने वाली दवाओं में ये सीमा बीस करोड़ रुपये है और बाहर लगाने वाली दवाओं के लिए ये सीमा पांच करोड़ रुपये है।
इस पर दवा निर्माता संगठन फार्मा मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने कहा है कि लाख प्रयासों के बाद भी विभाग ने टर्नओवर की शर्त बहाल रखी है। यही हाल रहा तो लघु दवा उद्यम खत्म हो जाएगा। इस मुद्दे पर दवा उद्यमियों ने पिछले साल 22 जुलाई को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की थी।
उन्होंने आश्वस्त किया था कि सरकारी खरीद में छोटे दवा उद्यमियों को भी मौका मिलेगा। बाद में उद्यमियों ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर उन्हें समस्याओं से अवगत कराया था। लेकिन, विभाग के अड़ियल रुख से उद्योग बेहाल हैं।
एसोसिएशन के महामंत्री महासचिव अतुल सेठ ने कहा कि पांच करोड़ से बीस करोड़ टर्नओवर की सीमा तय करते ही टेंडर में गिने चुने बड़े खिलाड़ी ही हिस्सा लेंगे। एमएसएमई उद्यमी हिस्सा लेगा तो सस्ती दवा का टेंडर भरेगा। इसीलिए उन्हें हिस्सा ही नहीं लेने दिया जा रहा है। संगठन ने पहले ही विभाग को प्रस्ताव दिया था कि बड़ी कंपनियों को आर्डर का 60 फीसदी और शेष 40 फीसदी का आर्डर एमएसएमई को दिया जाए, लेकिन ताजा टेंडर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।