आगरा के एत्मादपुर का गांव धरैरा 42 साल पहले पांच लोगों की हत्या से दहल गया था। घर में कुल्हाड़ी से किसान, उनकी मां, पत्नी और दो बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया था। दो और लोगों को मरणासन्न कर दिया था। प्राथमिकी दर्ज करवाने वाला कोई नहीं बचा था। इस पर पुलिस खुद वादी बनी थी।
पुलिस जांच के दौरान आठ आरोपियों के नाम सामने लाई थी। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। दो साल बाद सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मगर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्हें डेढ़ साल बाद जमानत मिल गई। इनमें से पांच की मृत्यु हो गई। तीन लापता हो गए। तीनों को तकरीबन 39 साल बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर शनिवार को कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। सभी आरोपियों की उम्र 60 वर्ष से अधिक है।
घटना 3 अगस्त 1983 की है। एत्मादपुर के धरैरा गांव निवासी सुख स्वरूप (25), उनकी मां कटोरी देवी (50) वर्षीय, पत्नी राजवती (23), बेटे श्याम (7) और बेटी कल्लो (2) की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या हुई थी। उनके नौकर और बाबा को मरणासन्न कर दिया गया था। सुख स्वरूप किसान थे। पिता नंद सिंह ठाकुर की पूर्व में मृत्यु हो चुकी थी। सुख स्वरूप का अपने चाचा कुंवरपाल सिंह से पुश्तैनी जमीन के बंटवारे का विवाद चल रहा था।