हाईकोर्ट की सख्ती पर 36 साल बाद बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किए गए बरेली के शाही निवासी प्रदीप सक्सेना को पुलिस ने शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। वहां से उसे जेल भेज दिया गया। उसने 1987 में अपने ही भाई संजीव सक्सेना की हत्या की थी। कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद वह 1989 में हाईकोर्ट से पैरोल पर बाहर आने के बाद फरार हो गया। परिवार के अन्य सदस्यों ने भी शाही कस्बा छोड़ दिया। 

पैरोल खत्म होने के बाद प्रदीप ठिकाने बदलता रहा। मुरादाबाद के ट्रांसपोर्टनगर में कुछ दिन काम किया। ट्रकों पर हेल्परी करते हुए ड्राइवर बन गया। मुरादाबाद में उसने विधवा मुस्लिम महिला से शादी की और धर्म परिवर्तन कर प्रदीप सक्सेना से अब्दुल रहीम बन गया। इसके बाद मुस्लिम महिला के साथ वह मुरादाबाद के इस्लामनगर में तुर्की इंटर कॉलेज के पास रहने लगा। पुलिस से बचने के लिए उसने दाढ़ी भी रख ली थी। बरेली में सभी नाते-रिश्तेदारों से ताल्लुक खत्म कर दिया था। 

ऐसे पकड़ा गया प्रदीप 

दूसरी ओर, पैरोल खत्म होने के बाद कोर्ट से उसके शाही के पते पर समन व नोटिस भेजे जाते रहे। 16 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने आरोपी को चार सप्ताह के अंदर गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बरेली के समक्ष पेश करने का आदेश दिया तो पुलिस सक्रिय हो गई। नाते-रिश्तेदारों की खोज की गई तो किला थाना क्षेत्र में भाई सुरेश बाबू का पता लगा। इसके बाद कड़ी से कड़ी जुड़ती गई। 

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सुरेश बाबू ने बताया कि प्रदीप धर्म बदलकर मुस्लिम हो गया है। वह मुरादाबाद के मोहल्ला करूला में रहता है और वाहन चलाता है। पुलिस टीम मुरादाबाद के मोहल्ला करूला पहुंची तो मालूम हुआ कि इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता, लेकिन एक बुजुर्ग अब्दुल रहीम रहता है, जिसे लोग सक्सेना ड्राइवर भी कहते हैं। वह 30 साल से यहां ट्रांसपोर्टनगर में गाड़ी चलाता है। 



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