समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां को दिवंगत नेता अमर सिंह के परिवार के खिलाफ विवादित टिप्पणी के मामले में अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
मामला 17 अक्तूबर 2018 का है। आरोप था कि आजम खां ने एक निजी चैनल को जौहर यूनिवर्सिटी में दिए इंटरव्यू में अमर सिंह के परिवार के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की। इसके बाद अमर सिंह ने नोएडा से लखनऊ तक रैली निकाली थी।

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जेल गेट पर आजम खां को कोर्ट में पेश करने के लिए लगा कैदी वाहन
– फोटो : अमर उजाला
यह रैली रामपुर भी पहुंची थी। इसके बाद बीजेपी सरकार ने केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। अमर सिंह ने लखनऊ में पांच मार्च 2020 को मुकदमा दर्ज कराया था। अमर सिंह का आरोप था कि आजम ने उन पर और उनकी 17 साल की जुड़वां बेटियों पर तेजाब फेंकने की धमकी दी थी। केस को बाद में रामपुर के अजीमनगर थाने में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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आजम खां (फाइल)
– फोटो : संवाद
मंगलवार को इस केस में अंतिम बहस पूरी हो गई थी। अदालत ने निर्णय के लिए 28 नवंबर की तारीख मुकर्रर की थी। शुक्रवार को आजम कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। जहां अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।

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रामपुर जिला जेल (फाइल)
– फोटो : संवाद
आजम खां के अधिवक्ता ने बताया कि धारा 153ए, 153बी, 295, 506 के आरोप साबित नहीं हो सके। अभियोजन पक्ष सबूत पेश करने में विफल रहा और पुलिस गवाह अधूरे थे। ये आदेश 66 पेज का है अभियोजन पक्ष ने पांच गवाह पेश किए।

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रामपुर की जेल में आजम खां
– फोटो : संवाद
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई में शामिल हुए आजम खां
अमर सिंह मामले में विवादित टिप्पणी मामले में आजम खां कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। आजम ने न्यायालय से जेल प्रशासन की शिकायत करते हुए स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। आरोप लगाया कि जेल प्रशासन उनकी मिलाई खत्म करने के लिए षडयंत्र कर रहा है।
