Investigation against 10 District Program Officers DPOs accused of corruption is pending for many years

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : amar ujala

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भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता और महिला सहकर्मी के उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोपों से घिरे बाल विकास विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के करीब 10 जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) के खिलाफ जांच वर्षों से लंबित है। कुछ डीपीओ ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ पिछले 12 वर्ष से अधिक समय से जांच चल रही है। 

ऐसे ही कई डीपीओ के जांच में फंसे होने के बावजूद उन्हें प्रमोशन दे दिया गया है। वहीं, कई मामलों में जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी जा चुकी है लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। दरअसल, आईसीडीएस निदेशालय से लेकर शासन तक बाबुओं व अधिकारियों के कॉकस की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इनके स्तर पर हो रही घालमेल की जानकारी की भनक तक विभाग के बड़े अधिकारियों को नहीं लग पाती है। 

इस कॉकस के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मातहतों से वसूली करने, सहायिकाओं से प्रोन्नति के नाम पर धन वसूली और महिला सहकर्मी से छेड़छाड़ करने जैसे गंभीर आरोप से घिरे डीपीओ के खिलाफ हुई जांच में हुई कार्रवाई का किसी को पता तक नहीं चल पाया।

लखनऊ और कानपुर में तैनात रहे डीपीओ के खिलाफ मंडलायुक्त से जांच कराई गई थी लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कई डीपीओ के खिलाफ जांच करने की मियाद दो वर्ष पहले ही पूरी हो चुकी है। पर, जांच रिपोर्ट कहां गई और उस पर क्या कार्रवाई हुई, कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। 



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