आगरा के बाह थाने पर 11 साल पहले तैनाती के दौरान निर्दोष को जेल भेजने वाले दरोगा को एससी-एसटी एक्ट में न्यायालय ने दोषी माना है। विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) आगरा शिवराम ने रिटायर्ड दरोगा वीरेंद्र सिंह तोमर को दो वर्ष कारावास और 20 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर एक वर्ष कारावास की सजा और भुगतनी होगी। वादी बाह के निवासी कालीचरन ने इसे न्याय की जीत बताया है।

बाह के बटेश्वर निवासी कालीचरन ने बताया कि 24 जून 2013 को बटेश्वर के श्रीकृष्ण और कालीचरन पक्ष के बीच मारपीट हुई थी। श्री कृष्ण पक्ष की ओर से दरोगा वीरेंद्र ने उन्हें नामजद किया । कालीचरन घटना वाले दिन एससीएसटी आयोग के कार्यालय में मौजूद थे। 7 नवंबर 2013 को कालीचरन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। शिकायत पर आयोग के हस्तक्षेप के बाद जेल भेजे गये कालीचरन को क्लीन चिट मिली और 30 नवंबर 2013 को जेल से रिहाई हुई थी।

निर्दोष को जेल भेजे जाने के मामले में आयोग के निर्देश पर विवेचक दरोगा वीरेन्द्र सिंह तोमर के खिलाफ 6 जनवरी 2014 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी, लेकिन थाना पुलिस ने दरोगा के खिलाफ न चार्जशीट दाखिल की और ना ही उसे गिरफ्तार किया गया। आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. पीएल पूनिया ने नाराजगी जताते हुए सीबीसीआईडी को जांच सौंपी लेकिन कार्रवाई नही हुई। उस समय बागपत के रहने वाले वीरेन्द्र सिंह तोमर आगरा के सिकंदरा थाने में तैनात थे। वर्ष 2015 में वह सिकंदरा थाने से ही रिटायर हुए। 11 साल बाद न्यायालय ने दरोगा वीरेन्द्र सिंह तोमर को दोषी माना और सजा सुनाई।

 



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