आगरा सदर तहसील स्थित रजिस्ट्री दफ्तर में ई-स्टांप पेपर काउंटर बंद हो गया है। बाहर स्टांप वेंडर मनमाना कमीशन वसूल रहे हैं। एक लाख रुपये के स्टांप खरीद पर 800 से 1000 रुपये तक लिए जा रहे हैं। पक्षकारों की जेब कट रही है जबकि रजिस्ट्री दफ्तर स्थित स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के काउंटर से बिना कमीशन के स्टांप पेपर बिक्री होती है।

शहर में पांच रजिस्ट्री दफ्तर हैं। पांचों दफ्तर तहसील परिसर में स्थित है। रोज 5 से 10 करोड़ रुपये का ई-स्टांप पेपर बिकता है। ई-स्टांप पेपर बेचने के लिए शासन ने स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. को नामित कर रखा है। कागज पर स्टांप पेपर बंद हो चुके हैं। ई-स्टांप पेपर की बिकी और पक्षकारों की सुविधा के लिए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने रजिस्ट्री दफ्तर में भूतल पर स्टॉक होल्डिंग को काउंटर के लिए कक्ष दिया था। इस कक्ष के ऊपर प्रथम तल पर रजिस्ट्री दफ्तर है। इसके शौचालय में लीकेज है। लीकेज से सीवेज व गंदा पानी नीचे भूतल पर स्थित ई-स्टांप काउंटर कक्ष में गिरता था। इस वजह से कंप्यूटर, प्रिंटर व स्टांप पेपर खराब हो रहे थे। ऐसे में कंपनी ने काउंटर को बंद कर दिया है। यहां से बिना कमीशन के स्टांप पेपर पक्षकार खरीदते थे।

ई-स्टांप कक्ष बंद होने के बाद अब घर, मकान व दुकान खरीदने वालों को तहसील परिसर में स्थित स्टांप वेंडर से ई-स्टांप पेपर खरीदना पड़ रहा है। एक लाख रुपये के ई-स्टांप पेपर पर 800 से 1000 रुपये तक कमीशन देना पड़ रहा है। जिससे पक्षकारों में रोष है। अधिवक्ता विष्णु गौड़ ने बताया कि बिना कमीशन का ई-स्टांप पेपर नहीं मिलने से पक्षकारों की कमीशन से जेब कट रही है। उधर, सदर तहसील बार एसोसिएशन महासिचव अरविंद दुबे का कहना है कि ई-स्टांप कंपनी को अपना अलग कक्ष बनाना चाहिए।

स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन के नोडल अधिकारी शिवम यादव ने बताया कि ई-स्टांप पेपर कक्ष में ऊपर से गंदगी गिरती है। कक्ष के ऊपर शौचालय बना है। इसलिए काउंटर बंद करना पड़ा है। छीपीटोला ब्रांच से ई-स्टांप पेपर जारी किए जा रहे हैं। एडीएम वित्त एवं राजस्व को समस्या बताई है। 



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