आगरा के एसएन इमरजेंसी के ट्रामा सेंटर में इलाज करा रहे नरेंद्र भीषण हादसे को याद कर सहम जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह गोरखपुर से चंडीगढ़ के लिए बैठे थे। वहां सब्जी का कार्य करते हैं। घरवालों से फोन पर बात कर करीब 12 बजे स्लीपर सीट पर सो गए थे। रात करीब साढ़े तीन बजे बस के टकराने की तेज आवाज आई। इसके बाद एक के बाद एक कई वाहन टकराए। बस में कई यात्री लहूलुहान दिखे, कई लोग सीटों के बीच में फंसे थे।

बस से बाहर जाना चाहा लेकिन कमरे से नीचे अंदरूनी चोट लगने से आधा शरीर कार्य नहीं कर रहा था। स्लीपर सीट में फंसा हुआ था। बाहर कैसे निकलूं, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, लगा कि अब प्राण नहीं बचेंगे। लेकिन प्रभु की कृपा से लोगों ने मेरी पुकार सुन शीशे तोड़कर बाहर निकाला।

ऐसे ही गोंडा के पवन कुमार आपबीती सुनाते हुए सहम गए। उनके सिर में चोट लगी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में कंबल बनाने के कारखाने में काम करते हैं। पत्नी से फोन पर बात करने के बाद बस में बैठा था। झपकी भी आ गई थी। रात को बस आगे वाले वाहन से टकरा गई। इसके बाद कई वाहन टकराते गए।

धमाके जैसी आवाजें आने लगीं और वाहनों में आग की लपटें उठती दिखीं। जान बचाने के लिए लोग चीख-पुकार रहे थे। जिसको जैसे मौका मिला, निकलने लगा। मेेरे सिर में गहरी चोट लगने के कारण सुन्न जैसा हो गया। मुझे नहीं पता कि मैं कैसे बाहर आया। कैसे जान बच गई, ये भगवान ही जाने।

तीन की हालत गंभीर, एक की हुई सर्जरी

एसएन मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी के सर्जरी विभाग के प्रभारी डॉ. अनुभव गोयल ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे हादसे के 16 घायल यहां इलाज के लिए लाए गए थे। इनमें से 6 को डिस्चार्ज कर दिया है, एक की मौत हो गई है। अभी 9 का इलाज चल रहा है, इसमें से चार ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं। इनमें से तीन की हालत गंभीर है। एक की पसली का ऑपरेशन हुआ है, बाकी के वार्ड में शिफ्ट कर दिए हैं।

 



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