राजस्व लेखपाल भर्ती विज्ञापन में आरक्षण संबंधी विसंगतियों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद राजस्व परिषद को चेतावनी जारी की गई है और स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भर्तियों में आरक्षण प्रावधानों के पालन में किसी भी तरह की त्रुटि, लापरवाही या मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद राजस्व परिषद ने श्रेणीवार रिक्तियों की दोबारा समीक्षा शुरू कर दी है और संशोधित अधियाचन एक सप्ताह के भीतर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भेजने की तैयारी की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि सरकारी भर्तियों में लंबवत और क्षैतिज दोनों प्रकार के आरक्षण प्रावधानों का शत-प्रतिशत अनुपालन अनिवार्य है। यह न केवल कानूनी दायित्व है, बल्कि सामाजिक न्याय की मूल भावना से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने सभी विभागों को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि आरक्षण से जुड़े मामलों में किसी भी स्तर पर विसंगति पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2025 को राजस्व लेखपाल के 7,994 पदों के लिए जारी विज्ञापन के बाद यह सामने आया कि जनपदों से भेजे गए श्रेणीवार रिक्तियों के आंकड़ों में असंगतियां हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल संज्ञान लिया और पूरी प्रक्रिया को दुरुस्त करने के निर्देश दिए। इसके बाद राजस्व परिषद ने कार्यरत और रिक्त पदों के श्रेणीवार आंकड़ों का पुनः सत्यापन शुरू किया है, ताकि संशोधित अधियाचन पूरी तरह नियमसम्मत और त्रुटिरहित हो।
राजस्व परिषद की सचिव कंचन वर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में प्राथमिकता के आधार पर आंकड़ों की समीक्षा की जा रही है। संशोधित अधियाचन आयोग को भेजे जाने के बाद भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी, विवाद-मुक्त और आरक्षण नियमों के पूर्ण पालन के साथ आगे बढ़ेगी।
प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षण व्यवस्था में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ स्वीकार नहीं की जाएगी। युवाओं के भविष्य से जुड़ी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और कानून सम्मत कार्यवाही सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। लेखपाल भर्ती में मुख्यमंत्री का यह हस्तक्षेप न केवल मौजूदा प्रक्रिया को सुधारने वाला कदम है, बल्कि आने वाली सभी भर्तियों के लिए भी कड़ा संदेश है कि आरक्षण नियमों में किसी तरह की ढिलाई नहीं चलेगी।
