बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने निर्देश दिया है कि 15-20 मिनट की देरी होने पर शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी न किए जाएं। देरी का अव्यावहारिक कारण होने पर ही कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में शिक्षकों का मनोबल नहीं गिरना चाहिए।
वे सोमवार को योजना भवन में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मंत्री ने निर्देश दिया कि शिक्षकों पर अनुचित कार्रवाई या दबाव न बनाया जाए। कंपोजिट ग्रांट हर विद्यालय तक पूरी और समय से पहुंचे। बीएसए खुद एक दिन ब्लॉक पर बैठकर शिकायतों का निस्तारण करें और फील्ड में नियमित रूप से भ्रमण कर वास्तविक स्थिति की समीक्षा करें। मंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि हर कर्मचारी का वेतन और एरियर समय पर मिले, साथ ही एडेड विद्यालयों में भी वेतन भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो।
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उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में लापरवाही और विलंब किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगी। आजमगढ़ में योजनाओं की धीमी प्रगति पर उन्होंने बीएसए को सुधार के निर्देश दिए। मंत्री ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से संवाद करें। केजीबीवी में खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।
उन्होंने कहा कि बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए 1200 रुपये की डीबीटी राशि शत-प्रतिशत अभिभावकों के खातों में पहुंचे। सभी बच्चों का आधार वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, यूपीएलसी के निदेशक रंजन कुमार, विशेष सचिव अवधेश तिवारी, महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी आदि उपस्थित थे।
योजनाओं में देरी पर तय की जाएगी जिम्मेदारी
मंत्री संदीप सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं की कड़ी मॉनिटरिंग की जाए। योजनाओं और उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। एक महीने के अंदर निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा होगी। उस समय कमी व देरी मिलने पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।
