शिक्षा माफिया व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं। एक स्कूल में बिना मान्यता 20 साल से एक से आठ तक की कक्षाएं चलती रहीं। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर आंखें मूंदे रहे। बीएसए की लापरवाही से बिना मान्यता का स्कूल यू-डायस पोर्टल पर भी फीड हो गया, जहां से स्कूल के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं का लाभ मिलता रहा। मामला सामने आने के बाद बीएसए ने कार्रवाई की बात कही।
यह मामला जगनेर स्थित एबेनेजर इंग्लिश मीडियम स्कूल का है। स्कूल में बसेड़ी रोड निवासी कुलदीप के दो बच्चे हर्षवर्धन कक्षा-2 और अवनी नर्सरी में पढ़ती थी। फीस विवाद को लेकर अभिभावक ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा कि स्कूल टिनशेड में संचालित हो रहा है। बच्चों के लिए पीने का साफ पानी नहीं है। फीस रसीद, रिपोर्ट कार्ड फर्जी है। बिना मान्यता के फर्जी स्कूल संचालित कर सैकड़ों बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।
शिकायत पर खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) जगत सिंह राजपूत ने जांच की। प्रमाणपत्रों की जांच में पता चला कि स्कूल के पास बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता नहीं है। जिस प्रारंभिक शिक्षा परिषद (सीईसी) के पंजीकरण का सहारा लेकर स्कूल संचालित है, उसे मान्यता देने का अधिकार नहीं हैं, क्योंकि सीईसी एक एनजीओ है। सोसाइटी दफ्तर में पंजीकृत है। उसके आधार पर स्कूल संचालित करने की अनुमति नहीं मिलती।
यू-डायस पोर्टल पर फीडिंग में हुआ फर्जीवाड़ा
केंद्र सरकार ने सभी स्कूलों का ब्योरा फीडिंग व फर्जीवाड़ा रोकने के लिए यू-डायस पोर्टल बना रखा है। एबेनेजर इंग्लिश मीडियम स्कूल भी इस पोर्टल पर फीड हो गया। विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेता रहा। खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में यू-डायस पोर्टल से मिले स्कूल कोड को निरस्त कर बंद कराने की संस्तुति की है। वहीं, इस संबंध में डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी का कहना है कि इस तरह के स्कूलों की टीम से जांच कराई जाएगी। लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई करेंगे।
मान्यता के लिए किया आवेदन
हमारे स्कूल को प्रारंभिक शिक्षा परिषद से मान्यता मिली है। इसी आधार पर यू-डायस कोड मिला। बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता के लिए आवेदन कर रखा है। अभी मान्यता नहीं मिली। -सीमोल जोसफ, प्रधानाचार्य, एबेनेजर इंग्लिश मीडियम स्कूल
यू-डायस कोड की कराएंगे जांच
बेसिक शिक्षा विभाग की मान्यता के बिना यू-डायस कोड आवंटित नहीं हो सकता। तथ्यों को छिपाकर कोड हासिल किया है, तो स्कूल की जांच कराएंगे। स्कूल के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। -जितेंद्र कुमार गोंड, बेसिक शिक्षा अधिकारी
