देश के सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने कहा कि अब हर चुनाव के बाद विपक्षी अब पक्षी बन जाता है। वहीं, राजनीति में स्वीकार्यता और सहनशीलता इतनी कम हो गई है कि विपक्षी को विरोधी मान लिया जाता है। यह बातें कुमार विश्वास ने बुधवार शाम अमर उजाला और संस्कृति विभाग की ओर से रिवरफ्रंट पर आयोजित दो दिवसीय समारोह संगम संस्कृतियों का” में कहीं।

विश्वास ने कहा कि एक समय था जब राजनीति में स्वीकार्यता बहुत थी, लेकिन अब समस्या यह आ गई है कि राजनीति में अस्वीकार्यता बढ़ती जा रही है जो बहुत घातक है। राजनीति पर चुटीली टिप्पणियों के जरिये उन्होंने सरकारों को भी आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि राजनीति से जो ठहाका या चुलबुलापन गायब हो रहा है, उसे कायम रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है।

आजकल लोकतंत्र में निर्णय संख्या से होने लगे हैं और गुणवत्ता पीछे छूट गई है। हमारी औकात श्रोताओं से ही है। इसलिए हम तो श्रोताओं के लिए ही लिखते और सुनाते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग तो हमें अपने फायदे के लिए ही बुलाते हैं। सत्ता या राजनीति के लिए कभी ट्रॉफी मत बनो क्योंकि अपना काम निकल जाने के बाद वे आपको भूल जाएंगे। उन्होंने कहा कि जनता जो सवाल सीधे सत्ता से नहीं कर पाती है, उसके लिए वे कवि को अपना प्रतिनिधि मानते हैं और यह सोचते हैं कि कवि हमारी बात जोरदार तरीके से कहेगा।

अमर उजाला की खबर ने पिताजी को जेल भिजवाया था

कुमार विश्वास ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान 1977 में अमर उजाला की वजह से मेरे पिता को जेल हो गई थी। उन्होंने बताया कि मेरे पिता का एक लेख अमर उजाला में प्रकाशित हुआ था, जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया था।

 



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