बैंक प्रबंधन की सतर्कता से एक बुजुर्ग महिला साइबर ठगी का शिकार होने से बच गई। विकासनगर सेक्टर-3 निवासी 75 वर्षीय ऊषा शुक्ला को साइबर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया। ठगों ने पहले खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। ठगों ने कहा कि आपके पति के आधार कार्ड का इस्तेमाल दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकवादियों ने किया है। आतंकियों के खाते में 50 करोड़ रुपये भेजे गए हैं।

ऊषा के मुताबिक, ठगों ने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है। अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें और उनके बेटे को जेल भेज दिया जाएगा। ठगों ने परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी। ठगों की धमकी से डरकर ऊषा सोमवार दोपहर में विकासनगर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के मामा चौराहा शाखा पहुंचीं। बैंक में एक करोड़ 10 लाख रुपये की अपनी 13 एफडी तुड़वाने की बात कहने लगीं। बैंक अधिकारी इंद्राणी ने उनसे इतनी बड़ी राशि की एफडी अचानक तुड़वाने का कारण पूछा। ऊषा ने कोई जवाब नहीं दिया। संदेह होने पर इंद्राणी ने मामले की जानकारी शाखा प्रबंधक श्रवण सिंह राठौर को दी।

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ठगों के खाते में ट्रांसफर करनी थी रकम

बैंक प्रबंधक श्रवण सिंह राठौर ने ऊषा को केबिन में बुलाया। पूछने पर ऊषा ने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। उन्होंने एक खाता नंबर दिया और पूरी रकम उसमें भेजने की बात कही। मामले की गंभीरता को देखते हुए बैंक प्रबंधक ने ऊषा से कहा कि दिया गया खाता नंबर गलत है। प्रबंधक ने सही खाता नंबर मांगने के लिए कहा।

चपरासी को पीछे लगाया तो खुला राज

श्रवण ने बताया कि शक होने पर उन्होंने ऊषा के पीछे चपरासी को लगाया और उनकी बात सुनने के लिए कहा। ऊषा जालसाजों से फोन पर बात कर रही थीं, जिसे चपरासी ने सुन लिया और श्रवण को इसकी जानकारी दी। इसके बाद श्रवण ने ऊषा की चार घंटे तक काउंसिलिंग की और उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराया। सूचना पाकर मंडल प्रमुख राज कुमार सिंह और मुख्य प्रबंधक राम बाबू भी वहां पहुंच गए। सभी ने समझाया, तब ऊषा को अहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी की जा रही थी।



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