शिक्षक संगठनों ने विभिन्न स्थानों पर बीएलओ के आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताई है। संगठनों का कहना है कि काम के दबाव के चलते बीएलओ विपरीत कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। इससे शिक्षकों में भी भय व्याप्त है। संगठनों ने सीएम से शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से हटाने की मांग की है। साथ ही काम का तनावमुक्त माहौल बनाने की मांग उठाई है।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी व महामंत्री उमाशंकर सिंह ने सीएम को पत्र भेजकर यह मांग उठाई है। इसमें उन्होंने कहा है कि शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी लगने से परिषदीय विद्यालयों में पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लिए जाने पर स्पष्ट रोक है। परिषदीय स्कूलों में 10 दिसंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं प्रस्तावित हैं ऐसे में इस समय बच्चों की तैयारी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

उप्र बीटीसी शिक्षक संघ ने बीएलओ पर अधिकारियों द्वारा दबाव बनाने का आरोप लगाया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने मांग की दिवंगत बीएलओ के परिजनों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये का आर्थिक सहयोग दिया जाए। साथ ही एसआईआर के काम का समय बढ़े और बीएलओ के सहयोग के लिए दो अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए। अनिल ने कहा, जिन अधिकारियों के दबाव के चलते बीएलओ विपरीत कदम उठाने को मजबूर हुए हैं उसकी जांच कराके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।



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