
सांकेतिक तस्वीर।
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प्रदेश सरकार सड़क व भवन निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं को कम समय में मंजूरी देने के लिए मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने जा रही है। नई व्यवस्था से लगभग 90 फीसदी प्रोजेक्ट को कम से कम एक महीने कम समय में मंजूरी दी जा सकेगी। इससे संबंधित प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी लेने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में हर वर्ष बड़ी संख्या में सड़क व भवन निर्माण से संबंधित कार्य कराए जाते हैं। सामान्य व्यवस्था में ये कार्य लोक निर्माण विभाग में तय दरों व तय मदों के आधार पर स्वीकृत कराए जाते हैं। लेकिन, कई काम ऐसे हैं जो लोक निर्माण विभाग के तय मानकों व मदों में शामिल नहीं हैं।
उच्च विशिष्टियों से जुड़े ऐसे प्रस्तावों पर व्यय वित्त समिति से अनुमोदन लेने के बाद प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति कैबिनेट से लेनी पड़ती है। इसी तरह कुछ ऐसे काम भी होते हैं जो किसी शासनादेश या तय दरों के दायरे में नहीं आते। संबंधित विभाग ऐसे कार्यों के लिए भी मंत्रिपरिषद से मंजूरी लेते हैं। इन दोनों ही तरह के प्रस्तावों पर कार्यवाही में कई-कई महीने का लंबा समय लग जाता है।
इस समस्या के समाधान के लिए तय लागत के आधार पर प्रस्तावों की मंजूरी अलग-अलग दो स्तर से देने की व्यवस्था बनाई जा रही है। पहला, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी। इसमें वित्त, नियोजन, न्याय व संबंधित प्रशासकीय विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव बतौर सदस्य शामिल होंगे। लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव इस समिति के सदस्य सचिव होंगे। इस समिति को 200 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं की प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति का अधिकार देने की तैयारी है। दूसरा, 200 करोड़ से अधिक लागत वाली परियोजनाओं की स्वीकृति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली प्रदेश कैबिनेट करेगी।
परामर्शी विभागों की राय का समय बचेगा
- प्रस्तावों पर कैबिनेट की मंजूरी लेने के लिए न्याय, नियोजन, कार्मिक व अन्य परामर्शी विभागों की राय ली जाती है। इस कार्यवाही में करीब एक से डेढ़ महीने तक लग जाते हैं। मुख्य सचिव समिति में सभी प्रमुख विभागों के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से शामिल रहेंगे।
- यदि प्रस्ताव पर किसी परामर्शी विभाग की आपत्ति आ गई तो उसका निस्तारण कराकर फिर से सहमति लेने में यह समय और बढ़ जाता है। कई बार चार-छह महीने तक लग जाते हैं।
- एक अनुमान के तहत 200 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं की मंजूरी में कम से कम एक महीने समय की बचत होगी। लगभग 90 फीसदी से अधिक कार्य 200 करोड़ रुपये के दायरे के होते हैं।
- नई व्यवस्था से न सिर्फ परियोजनाओं को कम समय में मंजूरी मिलेगी, बल्कि फील्ड में काम भी पहले पूरा हो सकेगा।
ये प्रस्ताव दायरे में
- किसी निर्माण परियोजना की उच्च विशिष्टियों की मंजूरी।
- मार्गों के चौड़ीकरण के लिए तय वाहन आवागमन दर (पीसीयू) में शिथिलीकरण।
- ग्रामीण मार्गों पर पड़ने वाले सरकारी संस्थान अथवा ऐसे सरकारी संस्थान, जो मार्ग से नहीं जुड़े हैं, उन तक दो या चार मार्ग के नव निर्माण की मंजूरी।
- रेल उपरिगामी सेतुओं के निर्माण में संबंधित समपार पर 24 घंटे में एक क्रॉसिंग से गुजरने वाले सड़क वाहनों और ट्रेनों की औसत संख्या (टीवीयू)एक लाख से कम होने पर रेलवे मदद नहीं करती। राज्य सरकार द्वारा पूर्ण लागत वहन करने का प्रस्ताव।
- ऐसे निर्माण कार्य जो किसी शासनादेश या तय दरों के दायरे में नहीं आते हैं।
ये हैं उच्च विशिष्टियां
लोक निर्माण विभाग में कार्य की तय दरों (शेड्यूल ऑफ रेट्स) व तय विशेष कार्यों से भी हटकर जो कार्य कराए जाते हैं, वे उच्च विशिष्टि की श्रेणी में आते हैं। इसके अंतर्गत भवनों में स्ट्रक्चरल ग्लेजिंग, स्टोन क्लैंडिंग, सेंट्रल एयर कंडीशनिंग, रूफ फाल सीलिंग तथा सड़कों के प्रस्तावों में विभिन्न तरह के सौंदर्यीकरण के काम आते हैं।