दरिंदगी का शिकार बांदा की तीन साल की बच्ची को अगर वक्त से खून मिल जाता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी। लेकिन बांदा के ट्रॉमा सेंटर और रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के परिसर में खून की व्यवस्था रही है, फिर भी उसे खून नहीं चढ़ाया गया।
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दरिंदगी का शिकार बांदा की तीन साल की बच्ची को अगर वक्त से खून मिल जाता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी। लेकिन बांदा के ट्रॉमा सेंटर और रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के परिसर में खून की व्यवस्था रही है, फिर भी उसे खून नहीं चढ़ाया गया।
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