UP: Administration is pressurizing to send madrassa children to schools, members of Muslim Personal Law Board

सीएम से मिलते मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य।
– फोटो : अमर उजाला

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्ददी की अगुवाई में बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मुलाकात की। मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव की ओर से प्रदेश के 8449 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के संबन्ध में जारी किये गये आदेश पर आपत्ति दर्ज करायी। प्रतिनिधिमंडल ने सीएम को अवगत कराया कि शासन के आदेश के आधार पर जिला प्रशासन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिल कराने का दबाव बना रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मदरसों के संबन्ध में जारी आदेश को वापस लेने की मांग की।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डा. कासिम रसूल इलियास ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि मदरसा बोर्ड से संबद्ध न होने की वजह से इन मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त बताया जा रहा है, जबकि यह मदरसे सालों से ट्रस्ट या सोसायटी के तहत स्थापित हैं। इन मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है। प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि मुख्य सचिव का आदेश देश के संविधान के प्रावधानों 14, 21, 26, 28, 29 और 30 के भी विपरीत है। 

संविधान ने अल्पसंख्यकों को अधिकार दिया है कि वे न केवल अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकते हैं, बल्कि अपनी इच्छानुसार उसका प्रबंधन भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 ने भी मदरसों और पाठशालाओं को इस अधिनियम से छूट दी है। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि मदरसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ ही लाखों बच्चों को मुफ्त आवास और खाने पीने के सहूलियत भी देते हैं। बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से बीती 7 जून को मुख्य सचिव को जारी पत्र पर भी आपत्ति जताई। 

इस पत्र में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण और मैपिंग करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही कहा गया कि वहां पढ़ने वाले मुस्लिम और गैर मुस्लिम बच्चों को बाहर निकालकर स्कूलों में दाखिला कराया जाए। उन्होंने बताया कि इस वजह से शासन ने 8449 मदरसों की सूची जारी की है, जिसमें दारुल उलूम देवबंद, दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ, जामिया सलाफिया बनारस, जामिया अशरफिया मुबारकपुर, जामिअतुल फलाह और मदरसा अल इस्लाह जैसे प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मदरसे शामिल हैं। 

बोर्ड ने मुख्यमंत्री को बताया कि इन मदरसों से शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों को देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश मिलता है। इसके अलावा यहां से शिक्षा पूर्ण करने वाले छात्र अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

 इन मदरसों से पढ़कर कई लोग सरकार में कई अहम पदों पर रहे हैं। बोर्ड के प्रवक्ता ने बताया कि बोर्ड के महासचिव ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर मांग करते हुऐ कहा कि इस आदेश को वापस लेने का आदेश जारी करें ताकि राज्य के मुसलमानों की चिंता को दूर किया जा सके। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को इस मामले पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में महासचिव के अतिरिक्त कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास, एडवोकेट सऊद रईस के अलावा जीशान खान शामिल रहे।

 



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