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Intervention of High Court: न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने सोमवार को रेनू महेश नर्सिंग साइंस संस्थान की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश सुनाया।

हाईकोर्ट का अहम फैसला।
– फोटो : ANI
विस्तार
रेनू महेश नर्सिंग साइंस संस्थान की लापरवाही की वजह से एएनएम के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया। संस्थान ने कई मौके मिलने के बाद भी छात्रों की फीस समय पर जमा नहीं की। जब मंगलवार को ही परीक्षा की तिथि थी तो सोमवार को मामले को लेकर संस्थान इलाहाबाद उच्च इलाहाबाद के लखनऊ पीठ पहुंचा। अदालत ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर संस्थान को फीस जमा करने का मौका तो दे दिया लेकिन फीस के साथ उतनी ही राशि का डिमांड ड्राफ्ट सिक्योरिटी की तौर पर जमा करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने सोमवार को रेनू महेश नर्सिंग साइंस संस्थान की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश सुनाया। याचिका में कहा गया कि 15 अक्तूबर से एएनएम की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं और रेनू महेश नर्सिंग साइंस संस्थान के छात्रों की फीस जमा नहीं हो सकी है। संस्थान ने बताया कि कई छात्र गरीब क्षेत्रों से आते हैं जो अपनी आर्थिक स्थिति और खराब इंटरनेट सुविधा के कारण फीस समय पर नहीं जमा कर सके। उप्र स्टेट मेडिकल फैकल्टी लखनऊ से संबद्ध संस्थान को 24 अगस्त 2024 तक छात्रों की फीस जमा करनी थी। फीस नहीं जमा कर पाने की स्थिति में छात्रों को परीक्षा से वंचित रखने का निर्देश दिया गया था। 23 अगस्त तक फीस जमा न कर पाने पर अवधि 10 सितंबर 2024 तक बढ़ा दी गई। फिर भी फीस न जमा होने पर तारीख 20 सितंबर से 23 सितंबर तक फिर मौका दिया गया लेकिन संस्थान फीस नहीं जमा कर सका।
अदालत ने सुनवाई के संस्थान को फटकार लगाते हुए कहा कि कई मौके मिलने के बाद भी संस्थान फीस नहीं जमा कर सका। संस्थान के द्वारा दिए गए कारण भी सटीक नहीं लगते। परीक्षा में सम्मिलित न होने पर छात्रों का एक साल खराब हो जाएगा। छात्रों की समस्या को ध्यान में रखकर अदालत ने संस्थान को सोमवार 3 बजे तक फीस जमा करने के आदेश दिए । साथ ही संस्थान को परीक्षा धनराशि के बराबर की राशि सिक्योरिटी की तरह जमा करने का आदेश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को रखी है।