
बाघ
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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551 वर्ग किलोमीटर में फैला कतनिर्याघाट वन्यजीव प्रभाग इन दिनों हिंसक जीवों के लिए छोटा पड़ने लगा है। हिंसक जीव तेजी से जंगल से बाहर निकल रहे हैं और मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं। बीते 20 दिनों के भीतर बाघ, हाथी व तेंदुए के हमले में तीन लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में डर का माहौल है।
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग अपनी मनोरम छटाओं व वन्यजीवों की विभिन्न प्रजातियों को लेकर विश्व प्रसिद्ध है। कतनिर्याघाट में पाए जाने वाले बाघ, हाथी, तेंदुए, पाढ़ा, सांभर, गैंडा, मगरमच्छ, गैंडा आदि का दीदार करने के लिए देश के कोने-कोने से पर्यटक आते हैं। लेकिन बीते महीने से कतनिर्याघाट वन्यजीव प्रभाग क्षेत्र हिंसक जानवरों के हमले के कारण चर्चा में है। हिंसक जीव बाघ, हाथी व तेंदुओं ने बीते 20 दिन के भीतर तीन लोगों को काल के गाल में समाहित कर दिया है। वहीं लगातार आबादी क्षेत्र में इनकी दस्तक से लोगों में दहशत है।
ग्रामीणों में वन्यजीवों की संख्या छिपाने की सुगबुगाहट
आबादी क्षेत्र में लगातार दस्तक दे रहे हिंसक जीवों को देखते हुए चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। ग्रामीणों में चर्चा कि लगातार हिंसक जीव आबादी क्षेत्र में दस्तक दे रहे हैं जबकि वन विभाग जंगल में पर्याप्त भोजन व समुचित निवास स्थान होने का दावा कर रहा है। ऐसे में लग रहा है, कि वन विभाग आंकड़ों को कम बता रहा है। जंगल में बाघों की संख्या बढ़ी है और उन्हीं के डर से तेंदुए व अन्य जानवर जंगल से बाहर निकल रहे हैं।